भारत और चीन के रिश्ते 2020 के गलवान संघर्ष के बाद तनावपूर्ण बने हुए हैं। इसी बीच चीनी विदेश मंत्री वांग यी का दो दिवसीय भारत दौरा दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने की अहम कोशिश माना जा रहा है। इस यात्रा के दौरान सीमा विवाद, व्यापार और क्षेत्रीय स्थिरता पर व्यापक चर्चा होने की संभावना है।
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वांग यी के भारत दौरे का महत्व
- यह दौरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी चीन यात्रा से पहले हो रहा है।
- दोनों देशों के बीच सीमा पर शांति और व्यापारिक संबंधों को नई दिशा देने की उम्मीद है।
- अमेरिका-भारत व्यापार तनाव के बीच चीन के साथ सहयोग को रणनीतिक दृष्टि से अहम माना जा रहा है।
सीमा विवाद और गलवान संघर्ष की पृष्ठभूमि
- जून 2020 में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी।
- इसके बाद दोनों पक्षों ने कई दौर की बातचीत कर सैनिकों को कुछ विवादित जगहों से पीछे हटाया।
- फिर भी, पूर्वी लद्दाख में एलएसी (LAC) पर अभी भी 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं।
- इस दौरे में स्थायी समाधान और विश्वास बहाली पर बातचीत केंद्रित हो सकती है।
व्यापार और अमेरिका फैक्टर
- अमेरिका ने हाल ही में भारतीय सामानों पर टैरिफ 50% तक बढ़ा दिया है।
- रूस से तेल खरीदने पर भी 25% का अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है।
- ऐसे में भारत-चीन के बीच व्यापारिक सहयोग और वैकल्पिक रणनीतियों पर चर्चा संभव है।
वांग यी का कार्यक्रम
- सोमवार शाम 4:15 बजे – वांग यी नई दिल्ली पहुंचेंगे।
- शाम 6 बजे – विदेश मंत्री एस. जयशंकर से द्विपक्षीय वार्ता।
- मंगलवार सुबह 11 बजे – NSA अजीत डोभाल से मुलाकात, सीमा विवाद और सुरक्षा मुद्दों पर विशेष बातचीत।
- शाम 5:30 बजे – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आवास पर मुलाकात।
पीएम मोदी की चीन यात्रा
- प्रधानमंत्री मोदी 31 अगस्त से 2 सितंबर तक चीन जाएंगे।
- वे बीजिंग में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में हिस्सा लेंगे।
- यह उनकी 2018 के बाद पहली चीन यात्रा होगी और बतौर प्रधानमंत्री यह उनका छठा दौरा होगा।
चीनी विदेश मंत्री वांग यी का भारत दौरा दोनों देशों के बीच जमी बर्फ पिघलाने की कोशिश है। सीमा विवाद, व्यापारिक तनाव और क्षेत्रीय स्थिरता पर यह बातचीत भविष्य की दिशा तय कर सकती है। सभी की नजरें इस मुलाकात पर टिकी होंगी कि क्या भारत और चीन अपने रिश्तों को नई शुरुआत दे पाएंगे।





