Mohit Jain
छठ महापर्व सूर्य देव और छठी मइया की उपासना का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है और इसका समापन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत पारण के साथ होता है। व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास रखते हैं और चौथे दिन उषा अर्घ्य देने के बाद व्रत का उद्यापन करते हैं। मान्यता है कि बिना उद्यापन के छठ व्रत का पूरा फल नहीं मिलता। आइए जानते हैं छठ व्रत के पारण की सही विधि और इसका महत्व।
छठ पूजा का चौथा दिन और पारण का समय

28 अक्टूबर 2025 को छठ महापर्व का चौथा और अंतिम दिन होगा। इस दिन उषा अर्घ्य यानी सूर्योदय के समय उगते सूर्य को जल अर्पित किया जाता है।
- सूर्योदय का समय: प्रातः 6 बजकर 30 मिनट (दिल्ली समय अनुसार)
- व्रत पारण का समय: उषा अर्घ्य के बाद किसी भी समय किया जा सकता है।
सूर्योदय के बाद व्रती जल, दूध और प्रसाद से सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रत पूरा करते हैं और उसके बाद उद्यापन की प्रक्रिया संपन्न होती है।
छठ व्रत का उद्यापन कैसे करें
छठ व्रत का उद्यापन करने के लिए सबसे पहले उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। अर्घ्य देने के बाद पूजा में चढ़ाए गए प्रसाद को सबसे पहले सूर्य देव और छठी मइया को अर्पित करें, फिर उसी प्रसाद को परिवार के सदस्यों और आस-पड़ोस में बांटें। इसके बाद स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें, जिससे व्रत का समापन माना जाता है।
व्रत खोलने के बाद अपने सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों को भोजन कराना या दान-दक्षिणा देना शुभ माना जाता है। यही छठ व्रत की पूर्णता की निशानी है।
छठ व्रत पारण विधि
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और पूजा के लिए तैयार हों।
- यदि घाट तक न जा सकें तो घर पर मिट्टी या ईंट से छोटा जलकुंड बनाएं।
- सूर्योदय के समय नंगे पैर जल में खड़े होकर उगते सूर्य को अर्घ्य दें।
- अर्घ्य देते समय सूर्य देव के मंत्रों का जाप करें और मन में छठी मइया का स्मरण करें।
- पूजा के प्रसाद से ही व्रत का पारण करें जैसे ठेकुआ, कसार, गुड़ या कच्चे दूध का शरबत।
- प्रसाद ग्रहण करने के बाद परिवार और पड़ोसियों में प्रसाद बांटें।
- अपने सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें।
- पारण के बाद मसालेदार भोजन से परहेज़ रखें।
छठ व्रत उद्यापन में आवश्यक सामग्री

छठ व्रत उद्यापन में उपयोग की जाने वाली सामग्री अत्यंत पवित्र और सात्विक होती है। प्रमुख सामग्री इस प्रकार है –
- बांस की दो टोकरियां
- फल (केला, नारियल, डाभ नींबू, शरीफा आदि)
- ठेकुआ, कसार (चावल के लड्डू)
- गन्ना, शकरकंद, सुथनी
- पान, सुपारी, हल्दी, सिंदूर, रोली
- धूप, दीपक, घी और कपास की बाती
- अर्घ्य के लिए लोटा, दूध और जल
इन सभी वस्तुओं को सूर्य देव और छठी मइया को अर्पित करना शुभ माना जाता है।
पारण का महत्व
छठ व्रत का पारण व्रती की तपस्या का समापन होता है। यह व्रत केवल शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक और आत्मिक शुद्धि का प्रतीक है। उषा अर्घ्य के बाद व्रत खोलने से सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।





