ED पर बॉम्बे हाईकोर्ट का कड़ा प्रहार, ₹1 लाख जुर्माना लगाया, कहा नागरिकों को परेशान न करें

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Bombay High Court gives a strong blow to ED

कानून का दुरुपयोग नहीं, ईडी की कार्रवाई पर हाई कोर्ट ने खड़े किए सवाल

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पर रियल एस्टेट डेवलपर के खिलाफ “बिना उचित सोच-विचार” के मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू करने के लिए ₹1 लाख का जुर्माना लगाया। कोर्ट ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सख्त संदेश देते हुए कहा कि उन्हें कानून के दायरे में रहकर कार्य करना चाहिए और नागरिकों को परेशान नहीं करना चाहिए।

जस्टिस मिलिंद जाधव की अध्यक्षता वाली पीठ ने ईडी द्वारा 2014 में मुंबई के रियल एस्टेट डेवलपर राकेश जैन के खिलाफ विशेष अदालत में शुरू की गई प्रक्रिया को रद्द कर दिया। यह मामला ईडी द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत दायर शिकायत पर आधारित था।

फैसले में जस्टिस जाधव ने कहा, “अब समय आ गया है कि ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियां कानून को अपने हाथ में लेना बंद करें और सोच-समझ के बिना नागरिकों को परेशान करना बंद करें।

ईडी ने विले पार्ले पुलिस स्टेशन में दर्ज एक संपत्ति खरीदार की शिकायत के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की थी। शिकायत में राकेश जैन पर समझौते के उल्लंघन और धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था। हालांकि, हाई कोर्ट ने पाया कि जैन के खिलाफ कोई ठोस मामला नहीं बनता, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप भी टिक नहीं पाए।

कोर्ट ने शिकायतकर्ता और ईडी की कार्रवाई को “दुर्भावनापूर्ण” करार देते हुए कहा कि इस तरह के दुरुपयोग के लिए “उदाहरणीय दंड” जरूरी है।

जस्टिस जाधव ने कहा, “मुझे उदाहरणीय जुर्माना लगाना पड़ा है ताकि ईडी जैसी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सख्त संदेश दिया जा सके कि वे कानून के दायरे में रहकर काम करें। वे बिना उचित सोच-विचार के कानून को अपने हाथ में लेकर नागरिकों को परेशान नहीं कर सकते।”

हाई कोर्ट ने ईडी को निर्देश दिया कि वह ₹1 लाख की राशि चार सप्ताह के भीतर हाई कोर्ट की लाइब्रेरी में जमा करे। इसके साथ ही, मूल शिकायतकर्ता (संपत्ति खरीदार) पर भी ₹1 लाख का जुर्माना लगाया गया, जिसे मुंबई स्थित किर्तिकर लॉ लाइब्रेरी में जमा करना होगा।

जस्टिस जाधव ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध जानबूझकर और स्वार्थी उद्देश्यों के साथ किया जाता है, जिसमें राष्ट्र और समाज के हितों की अनदेखी की जाती है। उन्होंने कहा, “मनी लॉन्ड्रिंग की साजिश अक्सर गोपनीयता में रची जाती है और अंधेरे में अमल में लाई जाती है। लेकिन इस मामले में, पीएमएलए का दुरुपयोग करके आरोपी को परेशान किया गया, जो पूरी तरह से उत्पीड़न का उदाहरण है।”

ईडी के वकील श्रीराम शिरसाट के अनुरोध पर हाई कोर्ट ने अपने फैसले पर एक सप्ताह के लिए रोक लगा दी ताकि एजेंसी सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल कर सके।

हाईकोर्ट की बड़ी बातें:

ईडी पर ₹1 लाख का जुर्माना: बॉम्बे हाई कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पर बिना उचित सोच-विचार के मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू करने के लिए ₹1 लाख का जुर्माना लगाया।
नागरिकों को परेशान न करें: कोर्ट ने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों को नागरिकों को परेशान करने से बचना चाहिए और कानून के दायरे में रहकर कार्य करना चाहिए।
विशेष अदालत की प्रक्रिया रद्द: हाई कोर्ट ने अगस्त 2014 में रियल एस्टेट डेवलपर राकेश जैन के खिलाफ शुरू की गई प्रक्रिया को रद्द कर दिया।
दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई का आरोप: कोर्ट ने ईडी और शिकायतकर्ता की कार्रवाई को “दुर्भावनापूर्ण” बताया और इसे आपराधिक न्याय प्रणाली का दुरुपयोग करार दिया।
शिकायतकर्ता पर भी जुर्माना: मूल शिकायतकर्ता (संपत्ति खरीदार) पर भी ₹1 लाख का जुर्माना लगाया गया, जिसे किर्तिकर लॉ लाइब्रेरी में जमा करने का निर्देश दिया गया।
मनी लॉन्ड्रिंग आरोप खारिज: हाई कोर्ट ने कहा कि राकेश जैन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का कोई मामला नहीं बनता।
सख्त संदेश की आवश्यकता: कोर्ट ने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों को यह सख्त संदेश देना जरूरी है कि वे नागरिकों के साथ उत्पीड़नात्मक रवैया न अपनाएं।
फैसले पर एक सप्ताह की रोक: ईडी के वकील के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट में अपील के लिए हाई कोर्ट ने अपने फैसले पर एक सप्ताह की रोक लगाई।

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