बिहार: विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे सामने आने के बाद अब विस्तृत आँकड़ों की चर्चा तेज हो गई है। एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिलने के साथ ही कई रोचक व चौंकाने वाले तथ्य भी उभरकर सामने आए हैं। नीचे उन प्रमुख तथ्यों का संक्षिप्त विश्लेषण दिया गया है।
महागठबंधन का 15 जिलों में खाता तक नहीं खुला
इस चुनाव का सबसे बड़ा आश्चर्य यह रहा कि महागठबंधन को राज्य के 15 जिलों में एक भी सीट नहीं मिल सकी। यह स्थिति बताती है कि इन जिलों में एनडीए का प्रभाव पिछले चुनावों की तुलना में और अधिक मजबूत हुआ है।
इसके अलावा अनुसूचित जाति–अनुसूचित जनजाति वर्ग की 40 सीटों में से 34 सीटों पर भी एनडीए को जीत मिली, जिससे यह स्पष्ट होता है कि एससी–एसटी बहुल क्षेत्रों में भी एनडीए का आधार काफी व्यापक रहा।
28 महिला विधायकों में से 25 एनडीए की
इस चुनाव में कुल 28 महिला उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की, जिनमें से 25 विधायक केवल एनडीए से चुनी गईं।
पार्टीवार स्थिति इस प्रकार रही—
- भाजपा – 10
- जेडीयू – 9
- एलजेपी – 3
- एचएएम – 2
- आरएलएम – 1
वहीं महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राजद से मात्र 3 महिला उम्मीदवार ही विजयी रहीं। पिछली बार 25 महिलाएँ जीती थीं, इस बार यह संख्या बढ़कर 28 हो गई है।
जातिवार प्रतिनिधित्व
इस बार विभिन्न जातियों से चुने गए विधायकों की संख्या कुछ इस प्रकार रही—
- राजपूत – 32
- यादव – 28
- वैश्य – 26
- कुर्मी – 25
- कुशवाहा – 23
- भूमिहार – 23
- ब्राह्मण – 14
- दलित – 36
एनडीए के 15 यादव उम्मीदवार विजयी
एनडीए ने कुल 23 यादव उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, जिनमें से 15 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की।
पार्टीवार विभाजन—
- भाजपा – 8 उम्मीदवार, जीते 5
- जेडीयू – 10 उम्मीदवार, जीते 8
- एलजेपी – 5 उम्मीदवार, जीते 2
यादव समुदाय में एनडीए का यह प्रदर्शन एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है।
सबसे कम मुस्लिम विधायक – केवल 11
आजादी के बाद से अब तक हुए 18 चुनावों में इस बार सबसे कम यानी 11 मुस्लिम उम्मीदवार विधानसभा पहुँच पाए हैं।
इनमें—
- AIMIM – 5 विधायक
- राजद – 3 विधायक (18 टिकट में से)
- कांग्रेस – 2 विधायक (10 टिकट में से)
- जेडीयू – 1 विधायक (जमा खान)
यह आँकड़ा दर्शाता है कि इस बार मुस्लिम प्रतिनिधित्व में काफी गिरावट आई है।





