भोपाल के सनसनीखेज गैंग रेप केस में पुलिस की जांच से एक चौंकाने वाला पैटर्न सामने आया है। आरोपी फरहान और साहिल के पीछे दो महिलाएं भी थीं, जो हिंदू लड़कियों को टारगेट करके उन्हें बरगलाती थीं। ये महिलाएं कैसे काम करती थीं? क्या यह सुनियोजित “लव जिहाद” का हिस्सा था? आइए तथ्यों से समझते हैं।
क्या था इन महिलाओं का रोल?
- दोस्ती का जाल:
- ये महिलाएं गरीब या मध्यमवर्गीय हिंदू लड़कियों से दोस्ती करती थीं।
- उन्हें करियर, पैसे या शोहरत के बड़े सपने दिखाकर फरहान और साहिल से मिलवाती थीं।
- ब्रेनवॉशिंग की रणनीति:
- लड़कियों को समझाया जाता था कि “आधुनिक बनने के लिए” धर्म या संस्कृति के बंधन तोड़ने होंगे।
- कुछ केस में लड़कियों को मुस्लिम पहनावा अपनाने, नमाज पढ़ने या धर्म बदलने के लिए प्रेरित किया गया।
- शोषण तक की यात्रा:
- एक बार लड़कियां आरोपियों के संपर्क में आतीं, तो उन्हें ड्रग्स देकर या वीडियो बनाकर ब्लैकमेल किया जाता।
- पुलिस को फरहान के फोन से कई अश्लील वीडियो मिले, जिनमें कुछ लड़कियों के साथ जबरन संबंध बनाए गए थे।
पुलिस को क्या मिला?
- वीडियो का खेल: फरहान ने 2017 से ही लड़कियों के वीडियो बनाकर उन्हें डिलीट किया, लेकिन पुलिस ने रिकवर कर लिया।
- नेटवर्क का सवाल: क्या यह केवल भोपाल तक सीमित था? जांच में पता चला कि इंदौर की एक कॉलेज स्टूडेंट भी शिकार हुई, जिसने अभी तक शिकायत नहीं की।
- फंडिंग का रहस्य: आरोपी महंगे होटल्स में लड़कियों को ले जाते थे, लेकिन उनकी आय के स्रोत अज्ञात हैं। क्या किसी संगठन से फंडिंग हो रही थी?
बड़े सवाल:
- लव जिहाद या अपराध का नेटवर्क?
- मध्यप्रदेश के सीएम ने इसे “लव जिहाद” बताया, लेकिन क्या यह व्यवस्थित धर्म परिवर्तन का केस है या सिर्फ यौन शोषण का गिरोह?
- पीड़िताएं चुप क्यों?
- कई लड़कियों के वीडियो मिलने के बावजूद वे पुलिस के पास क्यों नहीं आईं? क्या समाज के डर से?
- पोर्न इंडस्ट्री का लिंक?
- पुलिस जांच कर रही है कि कहीं ये वीडियो डार्क वेब या पोर्न साइट्स पर बेचे तो नहीं जा रहे थे।
निष्कर्ष:
यह केस सिर्फ एक गैंग रेप नहीं, बल्कि एक सिस्टमैटिक एक्सप्लॉइटेशन रैकेट की ओर इशारा करता है, जहां महिलाएं भी “एजेंट” की भूमिका में थीं। पुलिस को अब उन सभी पीड़िताओं तक पहुंचना होगा, जो शर्म या डर के मारे चुप हैं। साथ ही, यह सवाल भी जरूरी है कि “क्या हमारी सिस्टम इन अपराधियों को पनपने दे रही है?”
क्या आपको लगता है कि ऐसे केस में सख्त कानून और सोशल अवेयरनेस दोनों जरूरी हैं? कमेंट में बताएं।