भोपाल, मध्य प्रदेश – राजधानी भोपाल में एक चर्चित केस (अजमेर कांड-2) के आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया, जहाँ वकीलों ने उनकी जमकर पिटाई कर दी। आरोपियों ने भगवा रंग का गमछा पहन रखा था, जिसे देखकर वकीलों का गुस्सा भड़क उठा। पुलिस के कड़े पहरे के बावजूद आरोपियों को थप्पड़-घूंसों का सामना करना पड़ा।
क्या है पूरा मामला?
इस मामले में आरोपी फरहान, अली और साहिल पर हिंदू छात्राओं के साथ रेप और धोखाधड़ी (लव जिहाद) का आरोप है। पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, लेकिन जैसे ही आरोपियों ने भगवा गमछा पहना देखा, वकीलों ने उन पर हमला बोल दिया। हालात इतने बिगड़े कि कोर्ट परिसर में भारी पुलिस बल तैनात करना पड़ा।
आरोपियों की बढ़ी रिमांड, चौथी पीड़िता भी सामने आई
- कोर्ट ने फरहान की रिमांड 30 अप्रैल तक और अली की रिमांड 2 मई तक बढ़ा दी है।
- चौथी पीड़िता ने भी आरोपी साहिल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। उसने बताया कि साहिल ने फेसबुक पर “निक्की” नाम से फर्जी प्रोफाइल बनाकर हिंदू लड़कियों को फंसाया था।
- पुलिस आरोपियों के मोबाइल डाटा और सोशल मीडिया एक्टिविटी की जांच कर रही है।
क्यों भड़के वकील?
आरोपियों ने जानबूझकर भगवा गमछा पहनकर कोर्ट में एंट्री ली, जिसे देखकर वकील समेत मौजूद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। उनका कहना था कि ये आरोपी हिंदू धर्म के प्रतीकों का इस्तेमाल करके सहानुभूति हासिल करना चाहते हैं, जबकि उन पर हिंदू लड़कियों के साथ जघन्य अपराध का आरोप है।
क्या कहती है पुलिस?
- डीसीपी संजय अग्रवाल के मुताबिक, आरोपी अली को गिरफ्तार करते समय उसने भागने की कोशिश की, जिसमें उसका पैर फ्रैक्चर हो गया।
- पुलिस आरोपियों के पिछले रिकॉर्ड की भी जांच कर रही है, क्योंकि ऐसी आशंका है कि ये गैंग और भी लड़कियों को टारगेट कर चुका होगा।

समाज और कानून के बीच तनाव
यह मामला सिर्फ एक आपराधिक घटना नहीं, बल्कि धार्मिक पहचान और कानूनी प्रक्रिया के बीच तनाव को भी उजागर करता है। एक तरफ जहाँ आरोपी कानूनी प्रक्रिया का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ समाज का एक वर्ग इसे “लव जिहाद” जैसे सुनियोजित षड्यंत्र से जोड़कर देख रहा है।
क्या होगा आगे?
- पुलिस जल्द से जल्द चार्जशीट पेश करेगी।
- आरोपियों के खिलाफ आईटी एक्ट, यौन शोषण और धार्मिक भावनाएं भड़काने के मामले भी जोड़े जा सकते हैं।
- कोर्ट में सुनवाई के दौरान सुरक्षा और बढ़ाई जा सकती है।
निष्कर्ष: यह मामला साबित करता है कि जब अपराध धर्म और सामाजिक भावनाओं से जुड़ जाता है, तो कानूनी प्रक्रिया के साथ-साथ सामाजिक उन्माद भी बढ़ जाता है। अब देखना यह है कि क्या न्यायालय इस मामले में त्वरित सुनवाई कर पाता है या फिर यह केस भी भीड़तंत्र और राजनीतिक बहस का शिकार हो जाएगा।