एक बेंगलुरु-आधारित लाइफ साइंसेज कंपनी के कर्मचारी ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया, क्योंकि वहाँ का कामकाजी माहौल उनके लिए असहनीय हो गया था। मिडिल-मैनेजमेंट पद पर काम करने के बावजूद, उन्हें कंपनी द्वारा सम्मान, उचित वेतन या कार्य-जीवन संतुलन नहीं दिया गया।
क्यों छोड़ी नौकरी?
- अनुचित वेतन और टूटे वादे
- सरकारी ग्रांट से कंपनी को करोड़ों का फंड दिलाने के बावजूद, उन्हें पूरा बोनस नहीं मिला।
- सालाना वेतन वृद्धि 10% से भी कम थी, जो बेंगलुरु की महंगाई के सामने बेअसर थी।
- टॉक्सिक एचआर पॉलिसी
- एचआर टीम कर्मचारियों के सवालों को अनदेखा करती थी और उन्हें सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा किया जाता था।
- कॉर्पोरेट क्रेडिट कार्ड न होने के कारण, कर्मचारियों को अपने पैसे से ऑफिस के खर्चे उठाने पड़ते थे।
- अत्यधिक काम का दबाव और निजी जीवन की अनदेखी
- छुट्टियों, यात्राओं और यहाँ तक कि परिवार के विशेष अवसरों (जैसे शादी) पर भी काम करने के लिए मजबूर किया जाता था।
- लोगों के जाने के बाद बचे कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ा दिया जाता था, बिना अतिरिक्त वेतन या नई भर्ती के।
- लीडरशिप की लापरवाही
- CEO अक्सर मीटिंग्स छोड़ देते थे, जिससे कर्मचारी घंटों इंतजार करते रहते।
- कर्मचारी पर झूठे आरोप लगाए गए, लेकिन शिकायतकर्ता के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।
क्या सीखा जा सकता है?

✅ अगर वेतन नहीं बढ़ रहा:
- अपने योगदान को डॉक्यूमेंट करें (प्रोजेक्ट्स, कंपनी को फायदा, एक्स्ट्रा जिम्मेदारियाँ)।
- सही तरीके से बात करें – अगर वेतन नहीं बढ़ सकता, तो फ्लैक्सिबल घंटे, ट्रेनिंग या बोनस मांगें।
- बाजार के हिसाब से अपनी कीमत जानें (Glassdoor, LinkedIn पर रिसर्च करें)।
✅ इस्तीफा देने का सही तरीका:
- फॉर्मल नोटिस दें – पॉलिट और प्रोफेशनल इस्तीफा लेटर लिखें।
- पेशेवर बने रहें – ट्रांजिशन में मदद करें ताकि भविष्य में रेफरेंस मिल सके।
निष्कर्ष
इस कर्मचारी ने अपने सहयोगियों को याद किया, लेकिन वेतन या कंपनी की संस्कृति को नहीं। उनकी कहानी से पता चलता है कि टॉक्सिक वर्कप्लेस को पहचानना और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना कितना जरूरी है।
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