हिंदू सेना के विष्णु गुप्ता ने अजमेर में ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को हिंदू पूजा स्थल होने की याचिका कोर्ट में दायर की थी। याचिका पर बुधवार को अजमेर पश्चिम सिविल जज सीनियर डिविजन मनमोहन चंदेल की कोर्ट ने सुनवाई की। इस दौरान वादी विष्णु गुप्ता के वाद पर न्यायाधीश मनमोहन चंदेल ने संज्ञान लेते हुए दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मामले और एएसआई को समन नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।
कोर्ट में हिंदू पक्ष का दावा
दरगाह की ज़मीन पर पहले भगवान शिव का मंदिर था। मंदिर मे पूजा और जलाभिषेक होता था।याचिका में अजमेर निवासी हर विलास शारदा ने साल 1911 में लिखी पुस्तक का हवाला पुस्तक में दरगाह के स्थान पर मंदिर का ज़िक्र, दरगाह परिसर में मौजूद 75 फीट लंबे बुलंद दरवाज़े के निर्माण में मंदिर के मलबे के अंश समेत तहखाने में गर्भगृह होने का दावा शामिल है। प्रमाण, बताते चलें, इससे पहले हिंदू सेना की तरफ से मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष याचिका पेश की गई थी। हालांकि, न्यायाधीश प्रीतम सिंह ने ये कहकर सुनवाई से इनकार कर दिया था कि यह उनके क्षेत्राधिकार से बाहर है। इसके बाद जिला अदालत में याचिका पेश की गई।
2022 में अशोक गहलोत ने लिखी थी चिट्ठी
कोर्ट ने मामले में 5 दिसंबर को सुनवाई की तारीख तय की है। हिंदू संगठन लगातार लंबे समय से दावा करता आ रहा है कि यहां मंदिर हुआ करता था। हिंदू संगठन महाराणा प्रताप सेना ने 2022 में अजमेर दरगाह में हिंदू मंदिर होने का दावा किया था। इस मामले में उन्होंने राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्र सरकार को चिट्ठी भी लिखी थी। महाराणा प्रताप सेना के पदाधिकारियों ने चिट्ठी के साथ एक तस्वीर भी भेजी थी, जिसमें दरगाह की खिड़कियों पर स्वास्तिक के निशान होने का दावा किया गया था।