BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली : देश की प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों Airtel, Vodafone Idea और Tata Teleservices को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई करते हुए कंपनियों को कोई राहत देने से साफ इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की राहत की मांग
दूरसंचार कंपनियों ने अपने एजीआर बकाए पर लगने वाले ब्याज, जुर्माना, और ब्याज पर ब्याज को माफ करने की गुहार लगाई थी। लेकिन न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ ने इन याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि ये मांगें ‘गैर-उचित और चौंकाने वाली’ हैं। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि एजीआर बकाया चुकाने की बाध्यता से कंपनियां नहीं बच सकतीं।
वोडाफोन आइडिया की 45,457 करोड़ की छूट की मांग नामंजूर
इस फैसले से ठीक एक दिन पहले वोडाफोन आइडिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर ₹45,457 करोड़ की छूट की मांग की थी। कंपनी का कहना था कि अगर सरकार से राहत नहीं मिली, तो वह 2026 के बाद संचालन में असमर्थ हो जाएगी। कंपनी पहले ही करीब ₹8,000 करोड़ का भुगतान कर चुकी है, लेकिन बकाया अब भी भारी है।
वोडाफोन आइडिया का तर्क था कि अगर उसे सरकारी समर्थन नहीं मिला, तो वह दिवालिया होने पर मजबूर हो जाएगी और NCLT (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) की शरण लेगी।
AGR पर कोर्ट का पुराना रुख बरकरार
सुप्रीम कोर्ट पहले ही 2020 में AGR कैलकुलेशन को सही ठहरा चुका है। हाल ही में कंपनियों ने DoT (दूरसंचार विभाग) के एजीआर आकलन में त्रुटियों को सुधारने की मांग करते हुए याचिका दी थी, जिसे फरवरी में भी खारिज कर दिया गया था।
शेयर बाजार में असर – वोडाफोन आइडिया का शेयर 9% टूटा
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शेयर बाजार में वोडाफोन आइडिया के निवेशकों को बड़ा झटका लगा। कंपनी का शेयर 8.41% गिरकर ₹6.75 पर बंद हुआ। हालांकि, Airtel और Tata Tele के शेयरों में उतनी बड़ी गिरावट नहीं दिखी।
- Airtel का शेयर मामूली बढ़त के साथ ₹1,816.50 पर बंद हुआ।
- Tata Tele का शेयर हल्की गिरावट के साथ ₹60.57 पर बंद हुआ।
सरकार का रुख भी सख्त
दूरसंचार विभाग (DoT) ने भी कंपनियों की राहत की मांग को पहले ही खारिज कर दिया था। 29 अप्रैल को विभाग ने पत्र लिखकर स्पष्ट किया कि 2020 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के चलते बकाया एजीआर पर कोई और राहत नहीं दी जा सकती।
वोडाफोन आइडिया पर सरकार का स्पेक्ट्रम और अन्य बकाया करीब ₹1.95 लाख करोड़ है। अगर कंपनी दिवालिया होती है, तो सरकार को ₹1.18 लाख करोड़ की वसूली में परेशानी हो सकती है। कंपनी की सालाना ऑपरेटिंग कैश इनकम केवल ₹9,200 करोड़ है, जो बकाया भुगतान के मुकाबले बहुत कम है।