Mohit Jain
साइबर अपराधियों ने बनाया फर्जी कोर्ट और धमकाया
आगरा में रेलवे से रिटायर अधिकारी चिंतामणि शर्मा को साइबर ठगों ने 7 दिन तक डिजिटल अरेस्ट में रखा और 28 लाख रुपए ठग लिए। साइबर अपराधियों ने खुद को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण का पीआरओ विजय कुमार बताया। उन्होंने बताया कि चिंतामणि के आधार नंबर से मुंबई में एक मोबाइल सिम खरीदी गई थी, जिसका उपयोग अश्लील विज्ञापन और लोगों को ब्लैकमेल करने के लिए किया जा रहा था।

फर्जी जांच और सुप्रीम कोर्ट का हवाला
ठगों ने पीड़ित को डराते हुए बताया कि मामला सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बी.आर. गवई के समक्ष वीडियो कॉल से सुनवाई के लिए भेजा जाएगा। फर्जी अधिकारी ने कहा कि जेट एयरवेज के समन्यवक नरेश गोयल के साथ मनी लांड्रिंग के मामले में उनका भी नाम जुड़ा है। उन्होंने फर्जी वीडियो, डेबिट कार्ड और गिरफ्तार युवकों की तस्वीरें दिखाई।
डिजिटल अरेस्ट और पैसे का ट्रांसफर
ठगों ने आरोप लगाया कि सभी संपत्ति और बैंक खातों की जानकारी प्रवर्तन निदेशालय के पास जमा कराई जाएगी। अगले दिन डिजिटल अरेस्ट के दबाव में पीड़ित ने पेंशन खाते से 17 लाख रुपए मुंबई के एक खाते में और 11 लाख रुपए पत्नी के खाते में ट्रांसफर कर दिए।

आखिरकार ठगी का खुलासा
इस दौरान चिंतामणि ने अखबार में साइबर ठगी की खबर पढ़ी, जिसमें ठगी के तरीके और फर्जी अधिकारियों के नाम उनके मामले के समान थे। इससे उन्हें एहसास हुआ कि वह ठगे जा रहे हैं। इसके बाद उन्होंने साइबर थाना में शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस की कार्रवाई और जांच
डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने बताया कि पुलिस जांच कर रही है और आरोपियों की तलाश जारी है। मुंबई की क्राइम ब्रांच भी इस मामले की जांच कर रही है, जिसमें फर्जी आईपीएस और अन्य आरोपियों की पहचान करना शामिल है।





