BY: Yoganand Shrivastva
बीजिंग: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन की बीजिंग में हुई उच्च-स्तरीय बैठक के बाद उत्तर कोरिया के तानाशाह के स्टाफ ने बैठक स्थल से सभी डीएनए और फिंगरप्रिंट के सुबूत मिटा दिए। इस असामान्य कार्रवाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद दुनिया हैरान रह गई है।
बैठक के तुरंत बाद सख्त सुरक्षा कदम
वीडियो में देखा जा सकता है कि जैसे ही पुतिन और किम की बैठक समाप्त हुई, किम के स्टाफ ने कुर्सी, मेज और अन्य वस्तुओं की पूरी तरह से सफाई शुरू कर दी। जिस कुर्सी पर किम बैठे थे, उसकी पूरी सतह, बांह और मेज को रगड़-रगड़ कर साफ किया गया। इसी तरह जिस गिलास से किम ने पानी पीया था, उसे भी उठाकर उत्तर कोरिया ले जाया गया।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कार्रवाई फॉरेंसिक एक्सपर्ट की तरह सावधानीपूर्वक की गई थी। यह सुनिश्चित किया गया कि किसी भी तरह का डीएनए या फिंगरप्रिंट सुबूत पीछे न रहे।
डीएनए सुरक्षा: किम की रणनीति या सावधानी?
किम के स्टाफ की यह सतर्कता अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को हैरान कर रही है। माना जा रहा है कि यह रूस या चीन की जासूसी एजेंसियों से डीएनए चोरी के डर के कारण किया गया। इसी तरह की सावधानियां पुतिन भी अपनाते हैं; उदाहरण के लिए, विदेश दौरों में उनके अंगरक्षक उनके मल-मूत्र को सीलबंद थैलों में सुरक्षित रखते हैं। यह प्रक्रिया उनकी जैविक जानकारी की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
पुतिन और किम जोंग की बातचीत
बैठक के दौरान किम ने रूस के प्रति पूर्ण एकजुटता जताई और कहा कि रूस और उसके लोगों के लिए वह अपनी जिम्मेदारियों को भाईचारे के रूप में निभाएंगे। पुतिन ने उन्हें “प्रिय चेयरमैन ऑफ स्टेट अफेयर्स” कहकर संबोधित किया और रूस का समर्थन करने के लिए धन्यवाद दिया। रिपोर्ट्स के अनुसार, यूक्रेन युद्ध में उत्तर कोरियाई सैनिकों की तैनाती के चलते लगभग 13,000 में से 2,000 सैनिक मारे जा चुके हैं।
पश्चिमी प्रतिबंधों के खिलाफ नई धुरी
यह किम की कोविड-19 के बाद चीन की पहली यात्रा थी। इस दौरान उन्होंने न केवल पुतिन और शी जिनपिंग से मुलाकात की, बल्कि विश्व के कई नेताओं से भी संपर्क साधा। 2024 में लागू हुई आपसी रक्षा संधि के बाद मॉस्को और प्योंगयांग के संबंध और मजबूत हुए हैं। दोनों देश अब पश्चिमी प्रतिबंधों के खिलाफ साझा रणनीति पर काम कर रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
किम के इस असामान्य कदम ने वैश्विक सुरक्षा विशेषज्ञों और मीडिया में चर्चा छेड़ दी है। यह घटना न केवल किम की सुरक्षा-सावधानी को दिखाती है, बल्कि भविष्य में उत्तर कोरिया और रूस के कूटनीतिक और सैन्य गठजोड़ के संकेत भी देती है।