अरुमुगाकुमार की फिल्म Ace एक ऐसी कहानी है, जो अपनी मजेदार कॉमेडी के बावजूद गंभीरता से बहुत अधिक टिका रहता है, जिसके कारण यह दर्शकों को पूरी तरह से बांध नहीं पाता। विजय सेतुपति और योगी बाबू जैसे लोकप्रिय कलाकारों के बावजूद, यह फिल्म कमजोर पटकथा और असंतुलित कहानी के चलते औसत बनी रहती है।
फिल्म की कहानी और मुख्य प्लॉट
फिल्म की कहानी एक साधारण इंसान कन्नन (विजय सेतुपति) की है, जो मलेशिया में अपनी प्रेमिका रुचि (रुक्मिणी वासन्थ) को उसके दुराचारी सौतेले पिता से बचाने के लिए बैंक लूटने की कोशिश करता है। साथ ही वह अपने ऊपर लगे कर्ज से भी बचना चाहता है। कहानी में कन्नन की पॉकर में उत्कृष्ट प्रतिभा और उनके मित्र अरिवु (योगी बाबू) की भूमिका भी सामने आती है।
फिल्म के पॉजिटिव पहलू
- योगी बाबू का कॉमेडी तड़का: योगी बाबू ने अपनी कॉमेडी से फिल्म में जान डाल दी है। उनके जोक्स और टाइमिंग काफी असरदार हैं, जो कई बार दर्शकों को हंसने पर मजबूर कर देते हैं।
- विजय सेतुपति और रुक्मिणी वासन्थ की जोड़ी: इस रोमांटिक जोड़ी ने छोटे-छोटे भावों से फिल्म को नर्माहट और प्यार का एहसास दिया है। खासकर ‘Urugudhu Urugudhu’ गाने में उनकी केमिस्ट्री देखने लायक है।
- संगीत: जस्टिन प्रभाकरण का संगीत फिल्म के मूड को अच्छे से सपोर्ट करता है। बैकग्राउंड स्कोर बिना ज़ोर-शोर के भावनाओं को जगाता है।
- कुछ बेहतरीन सीन: निर्देशक अरुमुगाकुमार की कुछ सीन राइटिंग में अच्छे पल भी हैं, जिसमें सस्पेंस का थोड़ा टच भी दिखाई देता है।
फिल्म की कमजोरियां और आलोचना
हालांकि फिल्म में कई सकारात्मक तत्व हैं, लेकिन ये सभी मिलकर भी कहानी के कमजोर पहलुओं को ढक नहीं पाते:
- कमजोर पटकथा: कहानी में कई ऐसे सबप्लॉट्स और किरदार हैं, जिनका अंत या महत्व स्पष्ट नहीं होता। जैसे कन्नन की पॉकर स्किल, अरिवु की नौकरी, या कलपना (दूसरे किरदार) का रेस्टोरेंट — ये सब कहानी को आगे नहीं बढ़ाते।
- अनावश्यक सबप्लॉट: राजदुरई नामक किरदार की सेक्स टेप ब्लैकमेल वाली कहानी का फिल्म में कोई ठोस उपयोग नहीं है, फिर भी इसे काफी समय दिया गया है।
- टोन का उलझाव: फिल्म कॉमेडी और थ्रिलर के बीच कहीं फंसी हुई लगती है। यह न तो एक गंभीर सस्पेंस थ्रिलर बन पाती है, न ही एक पूरी तरह से कॉमिक कैपर।
- अकड़-ढकड़ वाले एक्शन सीन: एक्शन के सीन में हास्यास्पद स्थिति बन जाती है, जहां आप या तो योगी बाबू के कॉमेडी पर हंसते हैं या निर्देशक के सीरियस इरादों पर सवाल उठाते हैं।
निष्कर्ष: क्या देखना चाहिए?
Ace एक मनोरंजक फिल्म हो सकती थी अगर उसने अपना टोन स्पष्ट रखा होता। विजय सेतुपति और योगी बाबू की मौजूदगी इसे देखने लायक बनाती है, लेकिन कमजोर कहानी और टोन की अनिश्चितता इसे औसत फिल्म बनाती है। अगर आप एक हल्की-फुल्की कॉमेडी या रोमांटिक कैपर की तलाश में हैं, तो यह फिल्म कुछ हद तक आपके लिए हो सकती है। लेकिन एक सस्पेंस-थ्रिलर के रूप में इसे ज्यादा गंभीरता से नहीं लेना चाहिए।
Ace फिल्म की मुख्य बातें:
- शैली: कॉमेडी-थ्रिलर
- मुख्य कलाकार: विजय सेतुपति, योगी बाबू, रुक्मिणी वासन्थ
- संगीत: जस्टिन प्रभाकरण
- दौड़: 156 मिनट
- रिलीज़: थिएटर्स में वर्तमान
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1. Ace फिल्म का मुख्य आकर्षण क्या है?
उत्तर: फिल्म में योगी बाबू की कॉमेडी और विजय सेतुपति-रुक्मिणी की रोमांटिक केमिस्ट्री मुख्य आकर्षण हैं।
Q2. क्या Ace एक अच्छी थ्रिलर फिल्म है?
उत्तर: नहीं, फिल्म की थ्रिलर और कॉमेडी का मिश्रण सही तरीके से नहीं बैठता, जिससे फिल्म कमजोर लगती है।
Q3. फिल्म में संगीत कैसा है?
उत्तर: जस्टिन प्रभाकरण का संगीत मूड को उभारता है, लेकिन कोई सुपरहिट गाना नहीं है।
अगर आप तमिल कॉमेडी-थ्रिलर में हल्की मस्ती और थोड़ी रोमांस देखना चाहते हैं, तो Ace आपके लिए ठीक रहेगी, वरना यह एक औसत फिल्म है।





