BY: Abhay Mishara
मध्य प्रदेश: मऊगंज जिले से प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करने वाला एक विवाद सामने आया है। तहसीलदार वीरेंद्र पटेल जमीन विवाद सुलझाने के लिए गनिगमा गांव पहुंचे थे, लेकिन अचानक खुद विवाद का हिस्सा बन गए। वायरल वीडियो में तहसीलदार किसानों से न सिर्फ गाली-गलौज करते दिख रहे हैं, बल्कि एक किसान का कॉलर पकड़कर झूमाझटकी भी करते नजर आ रहे हैं। यह घटना प्रशासनिक अधिकारियों के आचरण और किसानों के अधिकारों पर गंभीर सवाल खड़ा करती है।
पीड़ित किसानों सुषमेश पांडे और कौशलेश प्रजापति ने आरोप लगाया कि तहसीलदार ने उनके साथ बेवजह मारपीट जैसी स्थिति पैदा की। स्थानीय लोगों ने बताया कि यह पहली बार नहीं है जब तहसीलदार के विवादास्पद व्यवहार को लेकर शिकायतें सामने आई हों। इससे पहले भी उनके खिलाफ अधिवक्ताओं से विवाद और आरटीआई में जानकारी न देने जैसे गंभीर आरोप लग चुके हैं।
विवाद केवल व्यवहार तक सीमित नहीं है। सरकारी दस्तावेज़ों के अनुसार तहसीलदार के परिवार का नाम नईगड़ी नगर परिषद वार्ड क्रमांक 6 की समग्र आईडी और राशन कार्ड में दर्ज था। आरोप है कि दिसंबर 2022 तक उन्होंने सरकार से राशन प्राप्त किया। इस तथ्य ने सवाल खड़ा किया है कि आखिर गरीबों का हक एक अधिकारी तक कैसे पहुंच गया और किस नियम के तहत उनकी पदस्थापना गृह जिले में की गई।
दूरभाष पर तहसीलदार वीरेंद्र पटेल से जब बात की गई, तो उन्होंने उल्टा किसानों पर अभद्र व्यवहार का आरोप लगाया। जबकि वायरल वीडियो स्पष्ट रूप से यह दिखाता है कि तहसीलदार ही किसानों के साथ गाली-गलौज और हाथापाई कर रहे थे।
इस मामले में मऊगंज कलेक्टर संजय जैन ने जांच कराने की बात कही है। वहीं मौके पर मौजूद नायब तहसीलदार उमाकांत शर्मा ने इसे ‘भ्रम’ का नतीजा बताया। लेकिन बड़ी चुनौती यह है कि किसानों से गाली-गलौज और कॉलर पकड़ने जैसी हरकत को प्रशासनिक अधिकारी द्वारा ‘भ्रम’ के रूप में कैसे तर्कसंगत ठहराया जा सकता है। इस घटना ने न केवल स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दिखाया कि अधिकारी और जनता के बीच भरोसे और सम्मान की स्थिति कितनी नाजुक हो सकती है।





