देश के सामाजिक और आर्थिक लक्ष्यों के खिलाफ ‘एनार्की का ग्रामर’ भी बताया
Report- Sandeep Ranpise, By: Vijay Nandan
मुंबई: वंचित बहुजन आघाड़ी (VBA) के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने मुंबई में पत्रकारों से बात करते हुए केंद्र सरकार की आर्थिक विदेश नीति की तीखी आलोचना की। उन्होंने इसे “एनार्की का ग्रामर” बताया और कहा कि अमेरिका और रूस – दोनों देशों के साथ संबंधों में आई गिरावट भारत के सामाजिक और आर्थिक लक्ष्यों को नुकसान पहुंचा रही है।
आंबेडकर ने कहा: “भारत की पारंपरिक विदेश नीति अमेरिका और रूस के बीच संतुलन बनाए रखने की रही है। लेकिन केंद्र सरकार का असफल नेतृत्व और आर्थिक विदेश नीति ने दोनों देशों के साथ संबंध खराब कर दिए हैं। उन्होंने बताया कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाया गया 50% reciprocal tariff भारत-अमेरिका संबंधों को 1970 के दशक की स्थिति में ले गया है। वहीं, रूस का चीन की ओर झुकाव और व्यापार में चीनी युआन की मांग भारत के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है। अमेरिका का 50% टैक्स और रूस की चीन के करीब होती नीति, सरकार की असफल आर्थिक विदेश नीति का परिणाम है। यह भारत के हितों के खिलाफ ‘एनार्की का ग्रामर’ है।
क्या सस्ता रूसी कच्चा तेल आम लोगों तक पहुंचा?
आंबेडकर ने आरोप लगाया कि केंद्र की नीति से सबसे ज्यादा फायदा मुकेश अंबानी और उनकी कंपनी रिलायंस को हुआ है।
2022 के बाद से भारत और चीन ने रूस से सस्ते कच्चे तेल का आयात बढ़ाया। भारत Urals Crude खरीदता है, जो सस्ता है लेकिन गुणवत्ता में थोड़ा कम। फिर भी भारत की रिफाइनरियां जैसे रिलायंस, नायरा और IOC इसे प्रोसेस करने में सक्षम हैं।
“Energy Aspects के अनुसार, भारत को रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद हर बैरल पर औसतन $11 का लाभ हुआ। वर्ष 2023-24 में भारत ने करीब ₹44,893 करोड़ की बचत की। लेकिन आंबेडकर ने सवाल उठाया कि क्या आम भारतीय को इसका कोई लाभ मिला? भारतीय तेल कंपनियों ने घरेलू बाजार में पेट्रोल, डीज़ल या केरोसीन सस्ते नहीं बेचे। रिलायंस (जामनगर) और नायरा एनर्जी (वडीनार, गुजरात) जिनमें नायरा का 49.13% हिस्सा रूस की Rosneft के पास है ने कुल मिलाकर 60% से अधिक रूसी तेल आयात किया और उसे प्रोसेस कर विदेशों में बेच दिया।

कंपनियों के मुनाफे:
वर्ष रिलायंस का अनुमानित लाभ
2022–23 ₹20,000 – ₹25,000 करोड़
2023–24 ₹30,000 – ₹35,000 करोड़
2024–25 ₹8,000 – ₹10,000 करोड़ (कम लाभ, क्योंकि छूट और मार्जिन घटे)
रिलायंस ने इन तीन वर्षों में ₹50,000 करोड़ से अधिक मुनाफा कमाया। लेकिन आम जनता को इसका कोई लाभ नहीं मिला, क्योंकि पेट्रोल ₹95/लीटर और डीज़ल ₹88/लीटर के आसपास ही रहा।
रूस को भी पैसा नहीं मिला
नायरा एनर्जी द्वारा खरीदा गया तेल सीधे रूस को भुगतान करके नहीं दिया गया। Rosneft को डिविडेंड के रूप में कमाई मिलने वाली थी:
2022–23: ₹4,900–5,900 करोड़
2023–24: ₹7,400–8,800 करोड़
2024–25: ₹2,900–3,900 करोड़
लेकिन जुलाई 2025 से लगे पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण, यह पैसा रूस को भेजा नहीं जा सका।
MSME पर असर: सबसे ज्यादा नुकसान वंचितों को
प्रकाश आंबेडकर ने बताया कि अमेरिका के 50% टैरिफ से सबसे ज्यादा नुकसान भारत के MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग) क्षेत्र को होगा। खासकर वो जो वंचित और दलित समुदायों द्वारा चलाए जाते हैं।
MSME सेक्टर जैसे कपड़ा, जूते, फिशरीज, गहने – बहुत कम मार्जिन पर चलते हैं। अब टैरिफ के कारण उनके मुनाफे और रोज़गार दोनों पर चोट पहुंचेगी।
अनुमानित नौकरी नुकसान (विभिन्न क्षेत्रों में):
कपड़ा उद्योग ~1.01 करोड़
रत्न और आभूषण ~11 लाख
इलेक्ट्रॉनिक्स ~1.87 लाख
दवाइयाँ ~1.62 लाख
इंजीनियरिंग सामान ~11 लाख
रिफाइंड पेट्रोलियम ~45,000
अन्य ~2.16 करोड़
कुल ~3.44 करोड़
चमड़ा उद्योग पर भी बड़ा खतरा
2020–21 में चमड़ा उद्योग का निर्यात $3.6 अरब था, जो 2024–25 में $4.8 अरब हुआ। अमेरिका को निर्यात $645 मिलियन से बढ़कर $1.04 बिलियन हुआ। अगर 40–50% कटौती हुई, तो 4–5 लाख नौकरियाँ जा सकती हैं, जिनमें बड़ी संख्या में दलित समुदाय के लोग काम करते हैं। अब अमेरिका के लिए बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देश ज्यादा आकर्षक बन सकते हैं, क्योंकि वहां टैक्स कम हैं या ट्रेड एग्रीमेंट्स हैं।
प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि सरकार की विदेश नीति से भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को नुकसान हुआ है। इसका फायदा सिर्फ कुछ कॉरपोरेट घरानों को हुआ है, खासतौर पर रिलायंस। वहीं वंचित वर्ग, MSME, और आम नागरिक इसकी कीमत चुका रहे हैं। उन्होंने मांग की कि सरकार पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाए, जन-हित आधारित नीति अपनाए, MSME और वंचित समाज की सुरक्षा के लिए स्पष्ट रणनीति बनाए, और देशहित को दोस्त से ऊपर रखें।