चैनल हैड आर पी श्रीवास्तव, विजय नंदन
दिल्ली: वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम फैसले के बाद क्या सच में इस कानून पर नया अध्याय शुरू हो गया है या विवाद और गहराएगा? कोर्ट ने 3 बड़े प्रावधानों पर रोक लगाई है, सरकार कह रही है – यह हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था को मज़बूती देता है, जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है, कि हमें पूरे एक्ट पर स्टे चाहिए था। तो क्या यह फैसला धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन को पारदर्शी बनाएगा या फिर राजनीति का मुद्दा बना रहेगा? सवाल ये भी है कि अब सरकार का अगला कदम क्या होगा? बदले गए कानून के प्रावधानों में फिर बदलाव करना होगा. हालांकि अभी अंतिम फैसला आना बाकी है। क्या सरकार अदालत में अपना पक्ष भी रखेगी।
वीओ. देश की सर्वोच्च अदालत ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पर अंतरिम फैसला सुनाते हुए कानून में किए गए तीन बड़े बदलावों पर अंतिम निर्णय आने तक रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फिलहाल केवल पांच मुख्य याचिकाओं पर ही सुनवाई की जाएगी। इन याचिकाओं में AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी की याचिका भी शामिल है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और राजीव धवन ने दलीलें पेश कीं, जबकि केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता पेश हुए। कोर्ट का यह अंतरिम आदेश वक्फ कानून के विवादित प्रावधानों पर रोक लगाता है और अंतिम सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश देता है।
कोर्ट ने क्या अंतरिम आदेश दिया आइए जानते हैं..
- वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम पर तय की सीमा
- केंद्रीय बोर्ड में 20 में से 4 गैर मुस्लिस सदस्य रख सकते हैं
- राज्य बोर्ड में 11 में से 3 गैर मुस्लिम सदस्य रख सकते हैं
- राज्य बोर्ड में जहां तक संभव हो मुस्लिम सीईओ ही नियुक्त किया जाए
- वक्फ बनाने के लिए कम से कम 5 वर्ष से मुसलमान होना जरूरी
- कलेक्टर द्वारा वक्फ प्रॉपर्टी तय करने वाले प्रावधान पर रोक
- वक्फ के रजिस्ट्रेशन में अनिवार्य प्रावधान में दखल देने से इनकार
- बाइट- डॉ. ए पी सिंह, वरिष्ठ वकील, सुप्रीम कोर्ट
- बाइट- वरूण सिन्हा, एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट
#WATCH | Delhi: On SC's order in the Waqf Amendment Act, Advocate Reena N Singh says, "There are 3-4 provisions which are being stayed by the Supreme Court. Though they are extremely important, and it is a bit of disappointment, but these are not the final orders. The stay is on… pic.twitter.com/YdQcaJBhli
— ANI (@ANI) September 15, 2025
सड़क से संसद तक वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करने वाले राजनीति दलों ने कोर्ट से फैसले का स्वागत किया है।

असदुद्दीन ओवैसी, अध्यक्ष, AIMIM
”यह अंतरिम आदेश है। हम उम्मीद करते हैं कि शीर्ष कोर्ट इस पूरे कानून पर जल्द अंतिम फैसला सुनाए और सुनवाई शुरू हो। यह फैसला एनडीए सरकार द्वारा बनाए गए कानून से वक्फ की संपत्तियों को बचाने में मदद नहीं करेगा। इससे अतिक्रमण करने वालों को फायदा मिलेगा। वक्फ की संपत्तियों का विकास नहीं हो पाए। हम उम्मीद करते हैं कि शीर्ष कोर्ट जल्द ही अंतिम फैसला सुनाएगा।”
उधर सरकार ने कहा कि कानून पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था को सुदृड़ करती है. जिन राजनीति दलों ने विधेयक को लेकर हंगामा किया, वे देश की व्यवस्था को चोट पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे.
#WATCH | Mumbai: On SC's order in the Waqf Amendment Act, Union Minister Kiren Rijiju says, "I welcome the order passed by the Supreme Court today after a full hearing on the Waqf Amendment Act. The Supreme Court knows the entire subject. The case was presented in great detail.… pic.twitter.com/te4kVt39HW
— ANI (@ANI) September 15, 2025
उधर मुस्लिम पक्ष एक धड़े ने अंतरिम आदेश का वेलकम किया है. सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती, अध्यक्ष, अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशी परिषद ने कहा कि पिछले 50 साल से लोग वक्फ कानून में संशोधन की हिम्मत नहीं कर पाए, लेकिन मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लेकर मुस्लिम समाज की भलाई का काम किया है।
#WATCH | Ajmer, Rajasthan: On SC's order in the Waqf Amendment Act, Syed Naseruddin Chishty, Chairman, All India Sufi Sajjadanashin Council, says, "…Supreme Court has granted interim relief in the petitions challenging a few sections. The Govt's intentions were always… pic.twitter.com/QdkDr6wBR8
— ANI (@ANI) September 15, 2025
दूसरी तरफ मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, ईदगाह इमाम ने कहा कि उनकी डिमांड पूरे एक्ट पर स्टे की थी..जो पूरी नहीं हुई है। लेकिन हम कोर्ट के अंतरिम आदेश का स्वागत करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के इस अंतरिम फैसले के बाद वक्फ कानून पर राजनीतिक और सामाजिक दोनों ही हलकों में नई बहस शुरू हो गई है। कोर्ट ने कानून के कुछ प्रावधानों पर रोक लगाकर जहां संवैधानिक संतुलन बनाए रखने की कोशिश की है, वहीं सरकार के लिए ये संकेत भी हैं कि धार्मिक आस्थाओं से जुड़े कानूनों पर अधिक संवेदनशीलता के साथ कदम बढ़ाने होंगे। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को ध्यान में रखकर संशोधन विधेयक में बदलाव करेगी? या फिर एक बार फिर से नया बिल लाकर इसे पूरी तरह से बदलने की कोशिश होगी? और सबसे अहम, क्या इस विवाद के बाद वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और संतुलन आ पाएगा? आने वाले दिनों में अदालत की अंतिम सुनवाई और सरकार का अगला कदम ये तय करेगा कि यह कानून धार्मिक समुदायों के बीच भरोसे की खाई को पाट पाएगा या और चौड़ी कर देगा।





