BY: Yoganand Shrivastva
नागपुर: एक अनोखा और विवादित फ्लाइओवर लोगों के ध्यान का केंद्र बना हुआ है। यह फ्लाइओवर अशोक चौक के पास स्थित एक मकान की बालकनी से होकर गुजर रहा है, जिसे देखकर स्थानीय लोग हैरानी जताते हुए इसे “अष्टम अजूबा” तक कह रहे हैं। इस निर्माण को लेकर अब शहर में चर्चा का विषय बन गया है कि आखिर मकान को मुआवजा क्यों नहीं दिया गया या अनधिकृत निर्माण को क्यों नहीं रोका गया।
मकान और परिवार की कहानी
फ्लाइओवर के रास्ते में आने वाले मकान के मालिक प्रवीण पत्रे और उनकी बेटी सृष्टि ने बताया कि यह घर उनके परिवार का 150 साल पुराना घर है। यह घर उनकी छठी पीढ़ी का निवास स्थल रहा है और लगभग 25 साल पहले इसे नवीनीकृत किया गया। प्रवीण पत्रे और उनकी बेटी का कहना है कि फ्लाइओवर उनके बालकनी से गुजर रहा है, फिर भी उन्हें इससे कोई असुविधा नहीं हुई है और सुरक्षा को लेकर भी उन्हें कोई चिंता नहीं है। हालांकि जब उनसे बालकनी के अधिकृत होने या नक्शा पास होने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने स्पष्ट जवाब देने से बचा।
फ्लाइओवर की लंबाई और लागत
यह फ्लाइओवर लगभग 9.2 किलोमीटर लंबा है और इसकी कुल लागत 998 करोड़ रुपए बताई जा रही है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) की देखरेख में इसका निर्माण हो रहा है। NHAI के अधिकारियों ने कैमरे के सामने सीधे बयान देने से बचते हुए कहा कि इस मामले की जानकारी महानगरपालिका को दे दी गई थी। अनाधिकृत निर्माण कार्य को रोकने या तोड़ने की जिम्मेदारी महानगरपालिका की है, लेकिन अधिकारियों ने इस पर कोई ठोस बयान देने से इनकार किया है।
विधायक ने जताई नाराजगी
दक्षिण नागपुर के विधायक मोहन मते ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्हें भी आश्चर्य हो रहा है कि अब तक महानगरपालिका, NIT और NHAI के अधिकारी इस मामले में कार्रवाई क्यों नहीं कर पाए। उन्होंने कहा कि जो भी अधिकारी इसमें शामिल हैं, उन्हें तुरंत निलंबित किया जाना चाहिए। उनके अनुसार, शहर में विकास कार्य जारी है और अधिकारियों की लापरवाही के कारण नागपुर का नाम बदनाम हो रहा है। विधायक ने यह भी कहा कि फ्लाइओवर को बालकनी से गुजरने से पहले मकान मालिक को नोटिस दिया जाना चाहिए था और यदि आवश्यक होता तो उचित कार्रवाई कर मकान को सुरक्षित रूप से हटाया जाता।
नागपुर के विकास और विवाद
यह मामला यह दर्शाता है कि तेजी से हो रहे शहरी विकास के बीच स्थानीय भवनों और नागरिकों के अधिकारों की अनदेखी किस तरह विवादों को जन्म देती है। फ्लाइओवर का निर्माण शहर की यातायात सुविधा के लिए आवश्यक है, लेकिन स्थानीय निवासियों और निर्माण नियमों का ध्यान न रखना प्रशासनिक लापरवाही के उदाहरण के रूप में सामने आता है।
नागपुर में यह अनोखा फ्लाइओवर अब केवल एक निर्माण परियोजना नहीं, बल्कि शहरी विकास और नागरिक अधिकारों के बीच संतुलन बनाए रखने की चुनौती का प्रतीक बन गया है।