BY: Yoganand Shrivastva
भारत का पड़ोसी देश अफगानिस्तान रविवार और सोमवार की देर रात भूकंप की तेज़ झटकों से हिल उठा। देश में रात 12 बजे के आसपास से लेकर सुबह 5 बजे तक कई भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिनसे भारी जनहानि और क्षति हुई। स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, अब तक कम से कम 800 लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों अन्य घायल हैं।
भूकंप की तीव्रता और समय
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी और यूएस जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के अनुसार, भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के बसावुल से लगभग 36 किलोमीटर दूर था। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता इस प्रकार दर्ज की गई:
- रात 12:47 बजे: 6.3 तीव्रता का भूकंप
- रात 1:08 बजे: 4.7 तीव्रता का भूकंप
- रात 1:59 बजे: 4.3 तीव्रता का भूकंप
- रात 3:03 बजे: 5.0 तीव्रता का भूकंप
- सुबह 5:16 बजे: 5.0 तीव्रता का भूकंप
दिल्ली-एनसीआर और आसपास के इलाकों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए।
प्रभावित क्षेत्र और क्षति
कुनार आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, नूर गुल, सोकी, वटपुर, मनोगी और चापाडारे जिलों में सबसे अधिक नुकसान हुआ है। प्रारंभिक रिपोर्टों में मृतकों की संख्या 800 से अधिक बताई गई है, जबकि घायल लोगों की संख्या 2,500 के करीब है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार मृतकों की संख्या इससे भी अधिक हो सकती है।
अफगानिस्तान में पिछले भूकंप
अफगानिस्तान भूकंपीय गतिविधि के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र में आता है। 2023 में 7 अक्टूबर को भी यहां 6.3 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें लगभग 4,000 लोगों की जानें गई थीं। पिछले वर्षों में अफगानिस्तान में कई बार विनाशकारी भूकंप आए हैं, जिनमें:
- 16 दिसंबर 1982: 6.6 तीव्रता, लगभग 450 मौतें
- 31 जनवरी 1991: 6.9 तीव्रता, लगभग 848 मौतें
- 4 फरवरी 1998: 5.9 तीव्रता, लगभग 2,323 मौतें
- 30 मई 1998: 6.5 तीव्रता, 4,000–4,500 मौतें
- 25 मार्च 2002: 6.1 तीव्रता, लगभग 2,000 मौतें
- 26 अक्टूबर 2015: 7.5 तीव्रता, लगभग 399 मौतें
- 21 जून 2022: 6.0 तीव्रता, लगभग 1,163 मौतें
- 7 अक्टूबर 2023: 6.3 तीव्रता, लगभग 4,000 मौतें
भूकंप क्यों आते हैं?
पृथ्वी की सतह पर कुल 7 टेक्टोनिक प्लेटें मौजूद हैं। ये प्लेटें लगातार गति में रहती हैं और कभी-कभी एक-दूसरे से टकरा जाती हैं। टकराव के कारण घर्षण पैदा होता है, जिससे भारी ऊर्जा उत्पन्न होती है। यह ऊर्जा जब सतह पर बाहर निकलती है तो भूकंप के रूप में झटके महसूस होते हैं।
राहत और बचाव कार्य
अफगान अधिकारियों और आपदा प्रबंधन टीमों ने प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य शुरू कर दिए हैं। घायल लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है और मलबा हटाने के कार्य चल रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी अफगानिस्तान को मदद प्रदान करने का आश्वासन दिया है।
भूकंप की यह आपदा न केवल जनहानि बल्कि व्यापक भौतिक और सामाजिक क्षति का कारण बनी है। विशेषज्ञों का कहना है कि भूकंपीय रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में समय रहते तैयारियां करना और आपदा प्रबंधन के उपाय अपनाना अत्यंत आवश्यक है।





