दिल्ली जा रही जनशताब्दी एक्सप्रेस मंगलवार को एक बड़े हादसे का शिकार होने से बच गई। ट्रेन को गलती से उस लूप लाइन पर मोड़ दिया गया, जहां पटरी की मरम्मत चल रही थी। समय रहते ट्रेन चालक दल की सतर्कता ने यात्रियों की जान बचाई।
इस लापरवाही पर आगरा रेल मंडल ने एक स्टेशन मास्टर और एक ट्रैफिक कंट्रोलर को सस्पेंड कर दिया है।
कैसे टला हादसा?
जानकारी के मुताबिक, मरम्मत कार्य स्थल से पहले रेलवे कर्मचारियों ने लाल झंडा लगाया हुआ था। ट्रेन चालक दल ने इसे देखते ही तुरंत इमरजेंसी ब्रेक लगाया और ट्रेन को समय रहते रोक लिया।
अगर थोड़ी भी देर हो जाती, तो सैकड़ों यात्रियों की जान खतरे में पड़ सकती थी।
यात्री की तबीयत बिगड़ने से बनी स्थिति
मामला तब शुरू हुआ जब ट्रेन में एक यात्री की तबीयत अचानक बिगड़ गई।
- टीटीई (ट्रेन टिकट परीक्षक) ने पहले छाता स्टेशन पर ट्रेन रोकने का अनुरोध किया।
- लेकिन समय पर संदेश लोको पायलट तक नहीं पहुंचा और ट्रेन आगे निकल गई।
- इसके बाद कोसी स्टेशन पर रोकने की कोशिश हुई, लेकिन वह भी संभव नहीं हुआ।
- अंत में होडल स्टेशन पर ट्रेन रोकने का निर्णय लिया गया।
इसी जल्दबाजी में स्टेशन मास्टर ने गलती से ट्रेन को उस ट्रैक पर मोड़ दिया, जिसकी मरम्मत चल रही थी।
रेलवे अधिकारियों ने क्या कहा?
आगरा रेल मंडल की प्रभागीय परिचालन प्रबंधक और प्रवक्ता प्रशस्ति श्रीवास्तव ने बताया कि यह घटना कर्मचारियों की खराब संचालन योजना का नतीजा है।
उन्होंने कहा:
- जांच पूरी होने तक दोनों कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है।
- यह अनुशासनात्मक कार्रवाई गंभीर लापरवाही को देखते हुए की गई है।
लोको पायलट की सूझबूझ से बची जानें
रेल मंडल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अगर लोको पायलट ने सतर्कता और सूझबूझ नहीं दिखाई होती, तो यह घटना एक बड़े हादसे में बदल सकती थी।
उन्होंने सवाल उठाया कि जब यात्री की तबीयत बिगड़ने की सूचना मिली, तो समय पर उचित निर्णय क्यों नहीं लिया गया और वरिष्ठ अधिकारी कहां थे?
यह घटना भारतीय रेल में सुरक्षा प्रबंधन और संचार प्रणाली की कमियों को उजागर करती है। लोको पायलट की सतर्कता ने भले ही हादसे को टाल दिया, लेकिन यह साफ है कि रेलवे के भीतर समन्वय और निर्णय लेने की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।





