गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के भगवानपुर टोल प्लाजा पर 1 अगस्त 2025 से टोल वसूली शुरू होते ही ट्रैफिक पैटर्न में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। खासतौर पर बाइक, ऑटो रिक्शा और ट्रैक्टर जैसे हल्के वाहनों की संख्या में तेज गिरावट आई है।
पहले जहां रोजाना हजार से अधिक बाइक इस मार्ग से गुजरती थीं, अब यह आंकड़ा घटकर महज 250–300 रह गया है। ऑटो और ट्रैक्टर चालकों ने भी वैकल्पिक रास्तों का रुख कर लिया है।
बाइक, ऑटो और ट्रैक्टर की संख्या क्यों घटी?
टोल वसूली का नियम इस बार सभी तरह के वाहनों पर लागू किया गया है — कार से लेकर टू-व्हीलर, ऑटो और ट्रैक्टर तक।
- कार: फास्टैग से टोल कट रहा है।
- टू-व्हीलर, ऑटो और ट्रैक्टर: कैश में टोल भुगतान करना पड़ रहा है।
टोल शुल्क लगते ही इन वाहनों के लिए यात्रा की लागत बढ़ गई, जिसके चलते ज्यादातर लोगों ने यह मार्ग छोड़कर दूसरे रास्ते अपनाए।
ऑटो रिक्शा चालकों की नई रणनीति
अब टोल से गुजरने वाले ऑटो रिक्शा केवल रिजर्व सवारी लेकर ही यात्रा कर रहे हैं।
- रिजर्व बुकिंग की शर्त पर ही यात्री बैठाए जा रहे हैं।
- टोल शुल्क की जिम्मेदारी सीधे सवारी पर डाली जा रही है।
- शेयरिंग ऑटो ने इस मार्ग से गुजरना लगभग बंद कर दिया है।
चार जिलों को जोड़ता है गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे, जिसकी लागत ₹7283.28 करोड़ है, गोरखपुर के जैतपुर से शुरू होकर आजमगढ़ के सलारपुर तक जाता है।
- जुड़ने वाले जिले: गोरखपुर, संत कबीर नगर, अंबेडकर नगर, आजमगढ़
- यह मार्ग सीधे पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से कनेक्ट होता है।
- यह एक स्टेट हाईवे है, जिस पर टू-व्हीलर से भी टोल लिया जा रहा है।
- इसके विपरीत, नेशनल हाईवे पर दोपहिया वाहनों से टोल नहीं लिया जाता।
टोल वसूली के लागू होते ही गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे पर हल्के वाहनों की संख्या में भारी कमी आई है। इससे न केवल यात्रियों के सफर के तरीके बदल गए हैं, बल्कि स्थानीय ऑटो और ट्रैक्टर चालकों की आमदनी पर भी असर पड़ा है।