पूर्वोत्तर भारत का मणिपुर राज्य पिछले दो सालों से हिंसा और अस्थिरता का सामना कर रहा है। इन हालात को देखते हुए केंद्र सरकार ने मणिपुर में लागू राष्ट्रपति शासन की अवधि को और 6 महीने बढ़ाने का फैसला लिया है। यह विस्तार 13 अगस्त 2025 से प्रभावी होगा।
गृह मंत्री अमित शाह आज यानी शुक्रवार को राज्यसभा में यह प्रस्ताव पेश करेंगे, जिसमें राष्ट्रपति शासन को आगे बढ़ाने की संसदीय मंजूरी मांगी जाएगी।
राज्यसभा में क्या कहा गया?
राज्यसभा की ओर से जारी नोटिस में बताया गया है कि गृह मंत्री अमित शाह ने संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत एक प्रस्ताव पेश किया है।
नोटिस में कहा गया:
“यह सदन, राष्ट्रपति द्वारा 13 फरवरी, 2025 को मणिपुर में जारी उद्घोषणा को 13 अगस्त, 2025 से छह महीने की अतिरिक्त अवधि के लिए लागू रखने का अनुमोदन करता है।”
इसका मतलब यह है कि जब तक हालात सामान्य नहीं होते, मणिपुर में जनप्रतिनिधियों द्वारा चुनी गई सरकार की जगह केंद्र सरकार का नियंत्रण बना रहेगा।
क्यों बढ़ाना पड़ा राष्ट्रपति शासन?
- मणिपुर में मई 2023 से मेइती और कुकी समुदायों के बीच गहरी जातीय हिंसा चल रही है।
- अब तक इस संघर्ष में 260 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
- हजारों लोग अपने घरों से बेघर होकर राहत शिविरों में रह रहे हैं।
- हालात सुधरने की बजाय अब भी तनावपूर्ण बने हुए हैं।
केंद्र सरकार ने 13 फरवरी, 2025 को पहली बार मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू किया था, जब राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस्तीफा दिया था।
क्या हुआ राज्य विधानसभा का?
- मणिपुर विधानसभा का कार्यकाल 2027 तक था।
- लेकिन राज्य में अस्थिरता और हिंसा के चलते विधानसभा को निलंबित कर दिया गया है।
- वर्तमान में राज्य की प्रशासनिक जिम्मेदारी केंद्र सरकार और राज्यपाल के हाथों में है।
मणिपुर की स्थिति अब भी बेहद संवेदनशील बनी हुई है। केंद्र सरकार का यह फैसला दर्शाता है कि हालात काबू में नहीं हैं और स्थायित्व लाने के लिए राष्ट्रपति शासन को बढ़ाना जरूरी माना जा रहा है। अब देखना होगा कि आने वाले 6 महीनों में शांति और भरोसे की बहाली के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं।





