मशहूर इलेक्ट्रिक कार कंपनी Tesla ने आखिरकार भारत में अपनी एंट्री कर ली है। मुंबई के BKC मॉल में ब्रांड का पहला शोरूम खुल गया है। लेकिन खुश होने से पहले ज़रा ठहरिए—जिस कार की कीमत अमेरिका में करीब ₹35 लाख है, वही भारत में ₹61 लाख तक पहुंच गई है।
इस भारी-भरकम कीमत की वजह है—टैक्स।
टेस्ला या टैक्सला? सोशल मीडिया पर गूंज
सोशल मीडिया पर लोगों ने इस महंगी कीमत पर ज़बरदस्त रिएक्शन दिए हैं:
- “Tesla नहीं, Taxla कहिए”
- “35 लाख की कार पर 26 लाख का टैक्स कौन देगा?”
- “टेस्ला खरीदना अब सिर्फ शो ऑफ नहीं, बेवकूफी की निशानी बन गया है”
यहां तक कि मीम्स में भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को निशाना बनाया जा रहा है। एक मीम में नेहरूजी Tesla शोरूम में खड़े हैं और पूछते हैं, “इतना टैक्स क्यों?” मैनेजर जवाब देता है, “इनसे पूछिए”—और कैमरा वित्त मंत्री की ओर घूम जाता है।
इतनी टैक्स दरें क्यों?
भारत में एक कार खरीदने पर सिर्फ जीएसटी ही नहीं, कई तरह के टैक्स जुड़ते हैं:
कार पर लगने वाले प्रमुख टैक्स:
| टैक्स का प्रकार | दर |
|---|---|
| GST (मूल रूप से) | 28% तक |
| Road Tax (राज्यवार अलग-अलग) | 4% से 20% |
| RTO Registration Tax | 8% से 10% |
| Compensation Cess | 1% से 22% (कार के आकार पर निर्भर) |
| Toll Tax (चलाते वक्त) | अलग से |
➡ कुल मिलाकर, एक मिड-साइज कार पर 43% तक टैक्स लग सकता है।
मुख्यमंत्री का शोरूम उद्घाटन, लेकिन फैक्ट्री नहीं!
मुंबई में Tesla के शोरूम का उद्घाटन महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने किया। उन्होंने इमोशनल होकर कहा कि उन्होंने 2015 में अमेरिका में पहली बार टेस्ला चलाई थी और तभी से सपना था कि ये कार भारत आए।
लेकिन सवाल ये है कि:
“क्या एक शोरूम के लिए मुख्यमंत्री को आना चाहिए था?”
ना फैक्ट्री खुली, ना रोजगार की बात, सिर्फ एक शोरूम!
टेस्ला बनाम बीवाईडी: चीन ने बाज़ी मार ली?
जहां भारत Tesla के शोरूम का सपना देख रहा है, वहीं चीन की कंपनी BYD ने Tesla को टेक्नोलॉजी और कीमत दोनों में चुनौती दे दी है।
- BYD की EV कारें भारत में 35 लाख में मिल रही हैं (सभी टैक्स समेत)।
- Tesla की वही सेगमेंट की कारें टैक्स के बाद 61 लाख तक पहुंच रही हैं।
BYD का नया ऑटोमैटिक सिस्टम “GOD” अब Tesla की सेल्फ-ड्राइविंग टेक्नोलॉजी को टक्कर दे रहा है।
क्या भारत में Tesla खरीदी जाएगी?
खरीददार क्या सोच रहे हैं:
- “नाम बड़ा लेकिन टैक्स भी बड़ा।”
- “61 लाख की EV खरीदकर क्या दिखाऊं? लोग हँसेंगे!”
- “टेस्ला में टेक्नोलॉजी है, लेकिन ये नई बात नहीं। अब हर ब्रांड EV फीचर्स दे रहा है।”
टेस्ला की गाड़ियों को ‘बुद्धिहीन खरीद’ कहने वालों की संख्या बढ़ रही है।
भारतीय टैक्स सिस्टम पर कटाक्ष
भारत में कार खरीदने के बाद भी:
- खराब सड़कें,
- लंबे ट्रैफिक जाम,
- और टोल टैक्स की लूट जारी रहती है।
इस पर सोशल मीडिया के ज़रिए जनता अपनी भड़ास मीम्स और पोस्ट्स में निकाल रही है।
22 साल बाद भारत आई टेस्ला
2003 में सैन फ्रांसिस्को में शुरू हुई Tesla, 22 साल बाद भारत में एक शोरूम खोल पाई है। इतने सालों में भारत की कोई भी कार कंपनी Tesla जैसी टेक्नोलॉजी नहीं ला पाई। लेकिन चीन की BYD ने यह कर दिखाया।
मस्क का सपना और भारत की हकीकत
एलन मस्क 2018 से कह रहे हैं कि वो भारत में आना चाहते हैं। 2022 में उन्होंने यहां आने की कोशिश की, लेकिन भारी टैरिफ देखकर रुक गए।
अब जब आए हैं, तो 70% टैरिफ और 30% लग्ज़री टैक्स के साथ। यानी पूरी कीमत में टैक्स ही टैक्स।
आनंद महिंद्रा बनाम मस्क
महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने मस्क को पुराने ट्वीट से याद दिलाया कि उन्होंने भारत आने की सलाह दी थी।
लेकिन सवाल है—क्या मस्क को टैक्स से लड़ना आता है?
महिंद्रा की इलेक्ट्रिक कारें 30–40 लाख में उपलब्ध हैं और वही भारतीय बाज़ार को ज्यादा आकर्षक लगती हैं।
निष्कर्ष: टेस्ला नहीं, टैक्सला!
- टेस्ला ने भारत में अपना पहला कदम रख दिया है, लेकिन कीमत के नाम पर वो मिडिल क्लास की हँसी का पात्र बन गई है।
- टेक्नोलॉजी अच्छी है, लेकिन दाम और टैक्स ने उसकी चमक फीकी कर दी है।
- चीन की BYD जैसे ब्रांड्स मुकाबले में ज्यादा बेहतर और सस्ते विकल्प बनकर उभरे हैं।
अंतिम सवाल: क्या आप 61 लाख देकर टेस्ला खरीदेंगे?
या फिर आप भी यह कहेंगे कि—“टेस्ला नहीं, टैक्सला है ये!”





