केरल की नर्स निमिषा प्रिया, जिन्हें यमन में मौत की सजा सुनाई गई थी, की फांसी पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। यह राहत न केवल उनके परिवार के लिए एक बड़ी राहत है, बल्कि इससे यह भी सामने आया है कि कैसे भारत के धार्मिक और मानवीय प्रयास वैश्विक संकटों को हल करने में असरदार साबित हो सकते हैं।
इस पूरी घटना में सबसे बड़ा नाम सामने आया है – ग्रैंड मुफ्ती ऑफ इंडिया, शेख अबू बकर अहमद मुसलियार। आइए विस्तार से जानते हैं इस केस और मुफ्ती साहब की भूमिका के बारे में।
कौन हैं निमिषा प्रिया और क्या है पूरा मामला?
- 2017 में घटना: निमिषा प्रिया पर यमन के व्यापारी अब्दुल महदी की हत्या का आरोप लगा।
- निमिषा का दावा: उसने महदी को सिर्फ बेहोश करने के लिए केटामाइन का इंजेक्शन दिया था, लेकिन ओवरडोज के कारण उसकी मौत हो गई।
- सजा: यमन की अदालत ने निमिषा को मौत की सजा सुनाई और वह सना जेल में बंद रही।
यमन का कानून: ब्लड मनी से मिल सकती है राहत
यमन की शरीयत कानून के तहत, अगर पीड़ित के परिवार को ब्लड मनी दी जाती है, तो दोषी को फांसी से माफी मिल सकती है।
- निमिषा के परिवार ने ब्लड मनी जुटाने के कई प्रयास किए लेकिन सफलता नहीं मिली।
- ऐसे में भारत सरकार और कुछ सामाजिक संगठनों ने हस्तक्षेप किया।
ग्रैंड मुफ्ती ऑफ इंडिया ने निभाई निर्णायक भूमिका
शेख अबू बकर अहमद मुसलियार, जो भारत के 10वें और वर्तमान ग्रैंड मुफ्ती हैं, ने इस संवेदनशील मामले में मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए अहम भूमिका निभाई।
ग्रैंड मुफ्ती का परिचय:
- पूरा नाम: शेख अबू बकर अहमद मुसलियार
- पद: भारत के सुन्नी मुस्लिम समुदाय के सर्वोच्च धार्मिक नेता
- चयन: 24 फरवरी 2019 को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में
- उपलब्धि: दक्षिण भारत से ग्रैंड मुफ्ती बनने वाले पहले व्यक्ति
कैसे किया गया हस्तक्षेप?
- ग्रैंड मुफ्ती ने यमन के सूफी धर्मगुरुओं और विद्वानों से संपर्क किया।
- उन्होंने अब्दुल महदी के परिवार से संवाद करने की अपील की।
- उन्होंने इस्लामिक कानून की व्याख्या करते हुए समझाया कि यदि ब्लड मनी दी जाए तो माफ किया जा सकता है।
- इस मानवीय पहल को यमन प्रशासन ने गंभीरता से लिया और फिलहाल फांसी पर रोक लगा दी गई।
ग्रैंड मुफ्ती के पूर्व योगदान
शेख अबू बकर अहमद मुसलियार धार्मिक सहिष्णुता और शांति के समर्थक रहे हैं।
- 2014 में ISIS के खिलाफ फतवा जारी किया।
- 60+ किताबें अरबी, उर्दू और मलयालम में लिख चुके हैं।
- शिक्षा और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में अनेक संस्थाओं का संचालन करते हैं।
- भारत में धार्मिक सौहार्द और सेक्युलरिज्म के समर्थक हैं।
एक धार्मिक पहल से मिली ज़िंदगी की उम्मीद
ग्रैंड मुफ्ती की यह पहल यह दर्शाती है कि कैसे धार्मिक नेतृत्व अंतरराष्ट्रीय मानवीय संकटों में भी सकारात्मक भूमिका निभा सकता है।
- यह मामला केवल एक फांसी की रुकावट नहीं है, बल्कि यह एक मिसाल है कि कैसे धर्म, करुणा और संवाद के माध्यम से जिंदगियों को बचाया जा सकता है।
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धर्म और मानवता की ताकत
निमिषा प्रिया की फांसी पर रोक लगना सिर्फ कानूनी या राजनीतिक मुद्दा नहीं है, यह एक मानवीय विजय है। इसमें भारत की धार्मिक शक्ति, डिप्लोमेसी और मानव मूल्यों की बड़ी भूमिका रही है। ग्रैंड मुफ्ती ऑफ इंडिया का यह प्रयास हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि धार्मिक नेता केवल उपदेश देने के लिए नहीं, बल्कि समाज को दिशा देने वाले पथप्रदर्शक भी हो सकते हैं।





