उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में शिक्षा व्यवस्था की गंभीर लापरवाही सामने आई है। सैयां ब्लॉक के बीआरसी केंद्र तेहरा पर छापेमारी के दौरान बड़ी मात्रा में बच्चों की किताबें और एक्सपायर दवाएं मिली हैं। इन किताबों का वितरण नहीं किया गया था, जबकि शासन की ओर से इन्हें मुफ्त में बच्चों को देने के आदेश थे। इस खुलासे ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
छापेमारी में क्या मिला?
नायब तहसीलदार अभिषेक कुमार ने एसडीएम खेरागढ़ के निर्देश पर बीआरसी केंद्र पर छापेमारी की। इस दौरान निम्नलिखित सामान बरामद हुआ:
- कक्षा 1 से 8 तक की हजारों किताबें, जो स्कूलों में वितरित नहीं की गई थीं
- विज्ञान किट, जिनका उपयोग छात्रों के लिए होना था
- एलबेंडाजोल नामक दवाएं जो पेट के कीड़े मारने के लिए दी जाती हैं, लेकिन ये एक्सपायर हो चुकी थीं
इन सामग्रियों को स्कूल के एक कमरे में बंद कर दिया गया था, जहां लंबे समय से कोई निगरानी नहीं थी।
पहले भी मिल चुकी हैं शिकायतें
- सरकार की ओर से बच्चों को मुफ्त किताबें देने का निर्देश है
- जिले में किताबें पहुंचा दी गई थीं, लेकिन स्कूलों तक वितरण नहीं हुआ
- बीआरसी के माध्यम से किताबों को स्कूलों तक पहुंचाना था, लेकिन अधिकारी लापरवाह निकले
- डीएम ने इस लापरवाही पर नाराजगी जताई और बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीईओ) से रिपोर्ट तलब की
इन क्षेत्रों में नहीं हुआ किताबों का वितरण
अभी भी कई क्षेत्रों में किताबें छात्रों तक नहीं पहुंच सकी हैं। प्रमुख क्षेत्र जहां वितरण नहीं हुआ:
- जगनेर: 10 विद्यालय
- पिनाहट: 20 विद्यालय
- शमसाबाद: 28 विद्यालय
- बरौली अहीर: 154 विद्यालयों में कक्षा 3 की किताबें नहीं बांटी गईं
अब तक की कार्रवाई
शासन के निर्देश पर अब तेजी से कार्रवाई हो रही है:
- सैयां के जूनियर हाईस्कूल कंपोजिट विद्यालय में 2600 किताबें बरामद
- अमरूपुरा विद्यालय (लादूखेड़ा क्षेत्र) में 25 बंडल किताबें जब्त
- बीआरसी तेहरा से किताबें हटा कर स्कूलों में शिफ्ट की गईं लेकिन फिर भी वितरण नहीं हुआ
इनमें से कई किताबें पिछले साल की हैं, जो अब तक बच्चों को नहीं दी गईं।
अधिकारियों का पक्ष
- एसडीएम ऋषि राव (खेरागढ़): बीआरसी केंद्र के कमरे में किताबें और विज्ञान किट मिलने की पुष्टि की है। खंड शिक्षा अधिकारी से जवाब तलब किया गया है।
- बीएसए जितेंद्र गौड़: दावा किया कि जिले के सभी विद्यालयों में किताबें वितरित कर दी गई हैं, और इसकी रिपोर्ट विभाग को भेजी गई है।
यह घटना न केवल शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाती है बल्कि हजारों छात्रों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ है। शिक्षा जैसे संवेदनशील क्षेत्र में इस प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त के बाहर है। शासन को अब जिम्मेदार अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई करते हुए यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किताबें समय पर छात्रों तक पहुंचे।





