BY: Yoganand Shrivastva
ग्वालियर, गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर ग्वालियर शहर भक्ति और श्रद्धा की रंगत में रंग गया। सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखने को मिलीं। भक्तों ने अपने आराध्य और गुरुओं की विधिपूर्वक पूजा कर उनका आशीर्वाद लिया। शहर के प्रमुख मंदिरों में विशेष आयोजनों का दौर रहा, वहीं मथुरा-वृंदावन और गिरिराज जी की परिक्रमा के लिए रेलवे स्टेशन पर भी भारी भीड़ नजर आई।
प्रमुख मंदिरों में दर्शन के लिए उमड़े श्रद्धालु
गुरु पूर्णिमा पर ग्वालियर के सनातन धर्म मंदिर, सांई बाबा मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर, बालाजी मंदिर, गंगादास की बड़ी शाला और अण्णा महाराज मठ जैसे धार्मिक स्थलों पर भक्तों की भारी भीड़ रही। श्रद्धालु जहां देव दर्शन को पहुंचे, वहीं अपने आध्यात्मिक गुरुओं से आशीर्वाद लेने के लिए भी शिष्य दूर-दूर से आए।
गिरिराज मंदिर में जुटी भारी भीड़, ट्रैफिक प्रभावित
शहर के इंदरगंज क्षेत्र में स्थित गिरिराज मंदिर पर भक्तों का सैलाब उमड़ा। श्रद्धालु सुबह से ही मंदिर परिसर में दर्शन के लिए पहुंचने लगे थे, जिससे इलाके में ट्रैफिक जाम की स्थिति बन गई। यातायात को संभालने में पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी। गिरिराज भक्त मंडल द्वारा यहां विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।
धर्मपुरी मंदिर में श्रद्धा के साथ हुआ आयोजन
श्री दादाजी धाम धर्मपुरी मंदिर में आयोजित गुरु पूर्णिमा उत्सव की शुरुआत सुबह 8 बजे हुई। महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरनंद दादाजी महाराज के सान्निध्य में भक्तों ने गुरुदेव का पूजन किया। श्रद्धालुओं ने चंदन तिलक, पुष्प अर्पण और आरती के साथ गुरु महिमा का गुणगान किया। इस अवसर पर दादाजी महाराज ने सत्संग के दौरान कहा कि “संपूर्ण संसार में केवल सद्गुरु ही वह शक्ति हैं जो हमें आत्मा से जोड़कर परमात्मा तक पहुंचा सकते हैं।”
लक्ष्मीनारायण मंदिर में विशेष अभिषेक और शृंगार
जनकगंज स्थित श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर में सुबह 6 बजे भगवान का अभिषेक किया गया। मंदिर के पुजारी पंडित राघवेश लघाटे ने विशेष श्रृंगार और पूजन कराया। सुबह 4 बजे से ही श्रद्धालुओं का आना प्रारंभ हो गया था। दूर-दराज से आए भक्तों ने भगवान के दर्शन कर चरण पादुकाओं का पूजन कर व्रत खोला।
गुरु-शिष्य परंपरा की जीवंत झलक
इस दिन की खास बात यह रही कि हजारों की संख्या में शिष्यों ने अपने गुरुओं का पूजन कर आशीर्वाद लिया। कहीं गुरु को फूलों की माला पहनाई गई, तो कहीं चरण वंदना कर दक्षिणा अर्पित की गई। शहर में आध्यात्मिकता का ऐसा वातावरण बना जो भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा की गहराई को दर्शाता है।
भंडारों में दिखी सेवा और स्वच्छता की मिसाल
सुबह 8 बजे के बाद शहर में विभिन्न स्थानों पर भंडारों की शुरुआत हो गई। इन आयोजनों में श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण के साथ-साथ स्वच्छता का संदेश भी दिया गया। आयोजकों ने लोगों से आग्रह किया कि प्रसाद ग्रहण करने के बाद दोने व प्लेट्स को निर्धारित डस्टबिन में ही डालें।
सांई बाबा मंदिर में छप्पन भोग और अभिषेक
विकासनगर स्थित सांई बाबा मंदिर में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर विशेष आयोजन किया गया। मंदिर में फूलों की सुंदर सजावट की गई और बाबा को छप्पन भोग अर्पित किए गए। सुबह 5 बजे बाबा का सवा क्विंटल दूध से अभिषेक कर कांगड़ा आरती की गई, जिससे माहौल भक्तिमय हो गया।
सनातन धर्म मंदिर में भगवान चक्रधर का आचार्य रूप में पूजन
सनातन धर्म मंदिर में गुरु पूर्णिमा पर भगवान श्री चक्रधर को आचार्य स्वरूप में सजाया गया। पंडित रमाकांत शास्त्री के आचार्यत्व में भक्तों ने भगवान चक्रधर व श्रीकृष्ण के चरणों में पुष्प अर्पित कर ‘कृष्णं वन्दे जगद्गुरुं’ के भाव से पूजन किया। यह आयोजन आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बेहद प्रभावशाली रहा।
स्टेशन पर भी उमड़ा श्रद्धालुओं का हुजूम
गिरिराज जी की परिक्रमा और मथुरा-वृंदावन में बांके बिहारी के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु रेलवे स्टेशन पहुंचे। प्लेटफार्मों पर लंबी कतारें देखी गईं। ट्रेनों में भारी भीड़ के कारण रेलवे को अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था करनी पड़ी।
निष्कर्ष
ग्वालियर में इस वर्ष की गुरु पूर्णिमा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि गुरु और शिष्य के अटूट संबंधों की एक सजीव मिसाल बनकर उभरी। भक्ति, श्रद्धा, अनुशासन और समाज के लिए सेवा भाव की जो झलक इस दिन दिखी, वह आने वाली पीढ़ियों को गुरु परंपरा की गहराई और महत्ता का एहसास कराती है।





