BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली/स्ट्रासबर्ग – रूस को यूक्रेन में मानवाधिकारों के उल्लंघन और युद्ध अपराधों के आरोप में पहली बार किसी अंतरराष्ट्रीय अदालत ने आधिकारिक तौर पर दोषी ठहराया है। यूरोप की शीर्ष मानवाधिकार अदालत (European Court of Human Rights – ECHR) ने स्पष्ट किया है कि रूस ने यूक्रेन में अंतरराष्ट्रीय कानूनों का गंभीर उल्लंघन किया है, जिसमें यूक्रेनी बच्चों का अपहरण, नागरिकों पर हमले और 2014 में MH17 विमान हादसा भी शामिल है।
पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूस को ठहराया गया जिम्मेदार
रूस और यूक्रेन के बीच 2022 से जारी संघर्ष के बीच यह पहला ऐसा फैसला है, जिसमें किसी निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय संस्था ने रूस को मानवाधिकारों के उल्लंघन का दोषी माना है। अदालत के मुताबिक, रूस की भूमिका यूक्रेन के डोनेट्स्क और लुहांस्क क्षेत्रों में विद्रोहियों को समर्थन देने से कहीं अधिक गहरी और संगठित रही है।
इस फैसले को रूस के खिलाफ एक बड़ा कानूनी और कूटनीतिक झटका माना जा रहा है।
MH17 विमान त्रासदी: रूसी मिसाइल से हुआ था हमला
2014 में मलेशियाई एयरलाइंस की फ्लाइट MH17, जो कि एक बोइंग 777 विमान था, यूक्रेन के डोनेट्स्क क्षेत्र के ऊपर उड़ान भर रही थी। तभी उसे 33,000 फीट की ऊंचाई से उड़ते वक्त एक “BUK” रूसी मिसाइल से मार गिराया गया। इस हादसे में 298 लोगों की जान चली गई, जिनमें बड़ी संख्या में नीदरलैंड, मलेशिया और ऑस्ट्रेलिया के नागरिक शामिल थे।
अंतरराष्ट्रीय संयुक्त जांच टीम (JIT) – जिसमें नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, बेल्जियम और यूक्रेन शामिल थे – ने इस त्रासदी की जांच में पुष्टि की कि हमले में उपयोग की गई मिसाइल रूसी सेना की थी और इसे रूस समर्थित विद्रोहियों ने दागा था।
रूस की नकारात्मक प्रतिक्रिया और जांच पर सवाल
रूस ने संयुक्त जांच के निष्कर्षों को सिरे से खारिज कर दिया। उसने दावा किया कि यह हमला यूक्रेनी सेना द्वारा किया गया हो सकता है और JIT की जांच प्रक्रिया को “राजनीतिक एजेंडा से प्रेरित” बताया।
रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी वीटो का प्रयोग करके इस मामले पर ठोस कार्रवाई को बार-बार रोका। इसके बावजूद 2022 में डच अदालत ने चार आरोपियों – तीन रूसी नागरिक और एक यूक्रेनी विद्रोही – को अनुपस्थिति में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। हालांकि, आज भी वे सभी फरार हैं और उन्हें रूस से बाहर लाना संभव नहीं हो सका है।
बच्चों के अपहरण और जबरन पलायन का आरोप
ECHR ने यह भी पाया कि रूस ने यूक्रेनी बच्चों के जबरन अपहरण और देशांतरण में भूमिका निभाई है। युद्ध के दौरान बच्चों को युद्धग्रस्त इलाकों से रूसी क्षेत्रों में ले जाया गया और उनके पुनर्वास या धर्मांतरण की कोशिश की गई, जो अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार और युद्ध कानूनों के सख्त उल्लंघन के अंतर्गत आता है।
फैसले के राजनीतिक मायने
इस फैसले को केवल कानूनी नहीं, बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह निर्णय यूरोपीय और पश्चिमी देशों को रूस पर अधिक सख्त प्रतिबंध लगाने का नैतिक आधार भी देगा। साथ ही, यह पीड़ित परिवारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के लिए भी एक राहत का संकेत है कि अब दुनिया युद्ध अपराधों को नजरअंदाज नहीं कर रही।





