BY: Yoganand Shrivastva
दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के मकसद से सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। अब 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से ज्यादा पुराने पेट्रोल वाहनों को ईंधन नहीं मिलेगा। इस नीति के लागू होने से कई वाहन मालिकों में असंतोष है, जिनमें से एक शख्स को अपनी Range Rover कार मजबूरी में बेचनी पड़ रही है।
1 जुलाई से लागू हुआ नया नियम
दिल्ली में 1 जुलाई 2025 से पुराने वाहनों पर ईंधन आपूर्ति का प्रतिबंध लागू कर दिया गया है। पेट्रोल पंपों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नियम का सख्ती से पालन हो। सरकार के अनुसार, यह फैसला राजधानी में वायु गुणवत्ता सुधारने के उद्देश्य से लिया गया है।
कार मालिक की पीड़ा
इस फैसले से प्रभावित लोगों में से एक रितेश गंडोत्रा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी व्यथा साझा की। उन्होंने बताया कि उनकी Range Rover केवल 8 साल पुरानी है और डीजल इंजन वाली है। अब तक यह कार मात्र 74,000 किलोमीटर चली है, और कोविड काल में दो साल तक यह उपयोग में नहीं रही।
रितेश ने लिखा, “कार की स्थिति बेहतरीन है और इसकी शेष जीवन लगभग 2 लाख किलोमीटर तक हो सकती है। लेकिन एनसीआर में लागू 10 साल पुराने डीजल वाहनों पर बैन के कारण अब इसे बेचना मेरी मजबूरी बन गई है। वह भी एनसीआर से बाहर के खरीदारों को, जो कम कीमत ही देते हैं।”
नई कार पर भारी टैक्स, जताई नाराजगी
रितेश ने यह भी कहा कि अगर वे नई कार खरीदते हैं, तो उन्हें 45% जीएसटी और सेस देना होगा। उनके अनुसार, यह नीति पर्यावरण की रक्षा के नाम पर जिम्मेदार नागरिकों को दंडित कर रही है। उन्होंने इसे “कॉमन सेंस पर टैक्स” करार दिया।
सोशल मीडिया पर मिला समर्थन
उनकी इस पोस्ट को अब तक 3.4 लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है। कई लोगों ने कमेंट कर अपनी सहमति और नाराजगी जाहिर की है। कुछ ने बताया कि वे भी इसी तरह की स्थिति से गुजर रहे हैं और उन्हें भी मजबूरी में अपनी गाड़ियाँ बेचना पड़ रही हैं।
दिल्ली सरकार के इस कदम से पर्यावरण को लेकर गंभीर प्रयासों का संकेत तो मिलता है, लेकिन यह फैसला कई जिम्मेदार वाहन मालिकों के लिए मुश्किलों का कारण बन गया है। पुराने लेकिन अच्छी स्थिति में रखे गए वाहनों के मालिक अब स्वयं को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक असुविधा का भी सामना करते पा रहे हैं।