BY: Yoganand Shrivastva
भोपाल – मध्य प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा और शांत लेकिन असरदार बदलाव देखने को मिला, जब हेमंत खंडेलवाल को भारतीय जनता पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष घोषित किया गया — वो भी निर्विरोध। पहली नजर में ये एक सामान्य संगठनात्मक बदलाव लग सकता है, लेकिन इसके पीछे की कहानी बीजेपी के अंदरूनी समीकरणों, रणनीतिक संतुलन और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की दूरदर्शिता को बखूबी उजागर करती है।
क्यों खास है यह नियुक्ति?
बीजेपी जैसी कैडर आधारित पार्टी में संगठनात्मक पदों पर नियुक्तियां अक्सर जमीनी निष्ठा, विचारधारा से जुड़ाव और नेतृत्व के भरोसे पर आधारित होती हैं। लेकिन एमपी में लंबे समय से यह धारणा बनी हुई थी कि प्रदेश अध्यक्ष का चयन अक्सर जातीय समीकरणों, क्षेत्रीय संतुलन या राजनीतिक दबाव के आधार पर होता रहा है।
इस बार, जब पार्टी में यह चर्चा ज़ोरों पर थी कि प्रदेश अध्यक्ष अनुसूचित जाति, महिला या आदिवासी नेता में से कोई होगा, तब मोहन यादव ने हेमंत खंडेलवाल का नाम आगे बढ़ा कर सबको चौंका दिया।
परदे के पीछे की रणनीति: मोहन यादव का मास्टरस्ट्रोक
🔹 संगठन और सरकार के बीच समन्वय
मुख्यमंत्री बनने के बाद से डॉ. मोहन यादव का स्पष्ट लक्ष्य था — संगठन और सरकार के बीच सीधा और विश्वासपूर्ण तालमेल। हेमंत खंडेलवाल, बतौर प्रदेश कोषाध्यक्ष, पहले ही सरकार और संगठन के बीच एक मजबूत कड़ी बन चुके थे। मोहन यादव ने उनकी कार्यशैली और निष्पक्षता को करीब से देखा था।
🔹 गुटबाजी पर लगाम
बीजेपी के कुछ इलाकों में लंबे समय से गुटबाजी की खबरें आती रही हैं — विशेष रूप से ग्वालियर, चंबल और मालवा क्षेत्र से। खंडेलवाल की नियुक्ति इन सभी गुटों को एक संकेत है कि अब पार्टी केवल निष्ठा और कार्यकुशलता पर चलेगी।
🔹 साफ छवि और आरएसएस से जुड़ाव
हेमंत खंडेलवाल की छवि एक सुलझे हुए और जमीन से जुड़े नेता की है। उनके पिता स्व. विजय खंडेलवाल भी बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से थे और आरएसएस से गहरा जुड़ाव रखते थे। हेमंत ने भी विद्यार्थी जीवन से ही बीजेपी और संघ के साथ सक्रिय कार्य किया है।
राजनीतिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि
- हेमंत खंडेलवाल: बैतूल से विधायक, पूर्व में पार्टी के प्रदेश कोषाध्यक्ष, B.Com और LLB की पढ़ाई।
- मोहन यादव: उज्जैन दक्षिण से विधायक, वर्तमान मुख्यमंत्री, शिक्षाविद और संघ पृष्ठभूमि से, PhD तक की डिग्री के साथ।
दोनों नेताओं की पृष्ठभूमि में एक बात समान है — छात्र राजनीति से शुरू होकर पार्टी के मूल कार्यकर्ता के रूप में उठना। यही कारण है कि इनके बीच आपसी समझ और भरोसा बेहद मजबूत है।
क्या कहते हैं पार्टी के अंदरूनी सूत्र?
पार्टी सूत्रों की मानें तो सीएम मोहन यादव खुद इस बात के लिए दृढ़ थे कि प्रदेश अध्यक्ष निर्विरोध चुना जाए, जिससे पार्टी के भीतर एकता का संदेश जाए। यह रणनीति सफल रही, और हेमंत खंडेलवाल के नाम पर शीर्ष नेतृत्व से लेकर ज़मीनी कार्यकर्ता तक कोई विरोध नहीं हुआ।
आगे का रास्ता: क्या बदलेगा?
- गुटबाजी और आंतरिक कलह पर अंकुश लगने की उम्मीद।
- संगठन और सरकार के बीच तेज़ संवाद और निर्णय प्रक्रिया।
- आगामी नगर निकाय, पंचायत और फिर 2029 लोकसभा चुनावों के लिए मजबूत बूथ प्रबंधन।
हेमंत खंडेलवाल की ताजपोशी सिर्फ एक व्यक्ति की जीत नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री मोहन यादव की रणनीतिक सोच की जीत है। यह एक स्पष्ट संदेश है कि अब मध्य प्रदेश बीजेपी केवल कार्यकर्ता आधारित पार्टी नहीं, बल्कि संघ-शक्ति, संगठनात्मक संतुलन और रणनीतिक नेतृत्व से संचालित पार्टी है।