BY: Yoganand Shrivastva
लातूर (महाराष्ट्र): महाराष्ट्र के लातूर ज़िले के रामलिंग मुदगड़ गांव के लोगों को बिजली विभाग की लापरवाही और मनमानी भारी पड़ रही है। यहां के करीब 200 ग्रामीणों को 50 हजार से लेकर डेढ़ लाख रुपये तक के बिजली बिल थमा दिए गए हैं। खास बात यह है कि इन बिलों में बिजली चोरी की पेनाल्टी भी जोड़ी गई है, जिससे ग्रामीण बेहद नाराज़ हैं।
बिना रीडिंग के भेजा गया मनमाना बिल
ग्रामीणों का आरोप है कि राज्य विद्युत वितरण कंपनी के कर्मचारी मीटर की वास्तविक रीडिंग लिए बिना मनमर्जी से बिल बना रहे हैं। कई घरों में बुनियादी बिजली उपकरण ही नहीं हैं, इसके बावजूद उन्हें एक लाख रुपये से ज्यादा का बिल भेजा गया है। एक बुजुर्ग ग्रामीण, जो टिन की छत वाले छोटे से मकान में रहते हैं, उन्हें लगभग 1.5 लाख रुपये का बिल थमा दिया गया।
बिजली चोरी का कलंक, बदनामी की चोट
बिजली विभाग ने बिलों में यह भी लिखा है कि उपभोक्ता से बिजली चोरी की वसूली की जा रही है। इससे ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है। लोगों का कहना है कि बिजली चोरी का कोई सबूत नहीं है, फिर भी उन्हें बिजली चोर कहकर पूरे गांव की छवि धूमिल की जा रही है।
गांव की स्थिति: डर, गुस्सा और अनिश्चितता
- गांव के 200 से ज्यादा लोगों को भारी भरकम बिल मिले हैं।
- सभी बिलों में बिजली चोरी की राशि जोड़ दी गई है।
- ग्रामीणों को बदनाम किया जा रहा है, जबकि कोई जांच नहीं हुई।
- बिजली विभाग ने अब तक इस पूरे मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
ग्रामीणों की मांग
- सभी बिजली बिलों की दोबारा जांच हो।
- मीटर रीडिंग के आधार पर सही बिल भेजा जाए।
- बिना प्रमाण के लगाए गए बिजली चोरी के आरोप वापस लिए जाएं।
- जो लोग अत्यधिक भुगतान कर चुके हैं, उन्हें रिफंड या समायोजन मिले।
अब निगाहें विभाग की प्रतिक्रिया पर
इस विवाद ने गांव में वित्तीय तनाव और सामाजिक बदनामी दोनों को जन्म दिया है। ऐसे में ग्रामीणों को न्याय दिलाने के लिए विभाग को जल्द पारदर्शिता और संवेदनशीलता के साथ कार्रवाई करनी होगी।
एक ओर सरकार डिजिटल और स्मार्ट मीटर के ज़रिए पारदर्शिता की बात करती है, वहीं लातूर के इस गांव में बिना जांच और बिना रीडिंग के भेजे गए बिलों ने पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि बिजली विभाग अब इस चूक की जिम्मेदारी लेता है या नहीं।