इंदौर से देवेन्द्र जायसवाल की रिपोर्ट
इंदौर, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान आज इंदौर दौरे पर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने मीडिया से चर्चा करते हुए किसानों के हित में चलाई जा रही केंद्र सरकार की योजनाओं और “विकसित कृषि संकल्प यात्रा” की उपयोगिता पर विस्तार से प्रकाश डाला।
खेती को विज्ञान से जोड़ने का प्रयास
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि भारत में कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। उन्होंने आंकड़े साझा करते हुए कहा,
“पिछले 11 वर्षों में देश में खाद्यान्न उत्पादन में लगभग 44 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। यह उपलब्धि दर्शाती है कि खेती अब परंपरा से आगे बढ़कर विज्ञान आधारित बन चुकी है।”
उन्होंने बताया कि देशभर में करीब 16,000 कृषि वैज्ञानिक विभिन्न लैब्स में उच्च गुणवत्ता वाली फसलों पर शोध कर रहे हैं, लेकिन एक बहुत बड़ा अंतर वर्षों से बना हुआ था।
वैज्ञानिक और किसान के बीच की खाई
कृषि मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हवाला देते हुए कहा,
“पीएम मोदी ने इस गैप की तरफ ध्यान दिलाया कि लैब में शोध करने वाला वैज्ञानिक और खेत में काम करने वाला किसान एक-दूसरे से कटे हुए हैं। किसान क्या चाहता है, यह वैज्ञानिक तक पहुंच ही नहीं पाता।”
इसी सोच के तहत ‘विकसित कृषि संकल्प यात्रा’ की शुरुआत की गई। इस यात्रा के माध्यम से वैज्ञानिकों और किसानों को एक ही मंच पर लाया गया, जिससे संवाद और समाधान दोनों को बल मिला।
728 गांवों तक पहुंची कृषि टीम
शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि इस अभियान के तहत 728 गांवों का दौरा किया गया, जहां वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों ने किसानों से सीधे संवाद किया, उनके अनुभव सुने और सुझाव लिए।
सोयाबीन में भारत की बढ़त
उन्होंने दावा किया कि भारत की सोयाबीन उत्पादकता अब दुनिया के औसत से भी अधिक हो गई है, जो इस क्षेत्र में किसानों की मेहनत और वैज्ञानिकों के सहयोग का प्रमाण है।
किसानों ने भी किए इनोवेशन
चौहान ने किसानों की नवाचार क्षमता की भी सराहना की। उन्होंने बताया कि
“किसान केवल उपज बढ़ाने वाले नहीं, बल्कि वे अपने आप में वैज्ञानिक हैं। इस यात्रा के दौरान हमें किसानों द्वारा किए गए 300 नवाचारों की जानकारी मिली है, जो प्रेरणादायक है।”