BY: Yoganand Shrivastva
वॉशिंगटन/तेहरान: 22 जून को अमेरिका द्वारा अंजाम दिए गए एक बड़े सैन्य अभियान “ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। इस ऑपरेशन के तहत अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नतांज और इस्फहान—पर भीषण हवाई हमले किए। इस हमले में B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स से 14000 किलोग्राम वजनी बम गिराए गए। अब इस मिशन में शामिल एक अमेरिकी फाइटर पायलट ने अपनी अनुभव साझा किया है, जिसने इस हमले की भयावहता को शब्दों में पिरोया।
क्या हुआ था फोर्डो पर?
फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट ईरान के पहाड़ों के भीतर बना एक गुप्त और बेहद सुरक्षित परमाणु केंद्र है, जिसे किसी भी सामान्य हवाई हमले से सुरक्षित माना जाता था। लेकिन अमेरिकी B-2 स्टील्थ बमवर्षकों ने इस मिशन में इसे सफलतापूर्वक निशाना बनाया।
“ऐसा धमाका कभी नहीं देखा” – अमेरिकी पायलट
अमेरिकी ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के चेयरमैन जनरल डैन केन के मुताबिक, ऑपरेशन में शामिल एक पायलट ने बताया,
“जब बम गिरा तो ऐसा लगा मानो दिन का उजाला फैल गया हो। मैं अपने जीवन में इतना जबरदस्त विस्फोट कभी नहीं देखा। हर दिशा में आग और रोशनी की लपटें फैल गईं।”
उन्होंने कहा कि मिशन के दौरान किसी को यह भरोसा नहीं था कि वे जीवित लौटेंगे। फिर भी पूरी टीम ने साहस के साथ काम को अंजाम दिया और सौभाग्यवश सभी सैनिक सुरक्षित लौट आए।
मिशन की तैयारी और चुनौतियाँ
फोर्डो प्लांट को खासतौर पर पहाड़ के अंदर इसलिए बनाया गया था ताकि यह किसी भी बमबारी से सुरक्षित रह सके। लेकिन अमेरिका ने उसकी कमजोर कड़ी को पहचान लिया — प्लांट के वेंटिलेशन शाफ्ट, जिन्हें कुछ दिन पहले ही ईरान ने कंक्रीट से बंद करने की कोशिश की थी।
जनरल केन के मुताबिक,
“फोर्डो में दो बड़े वेंटिलेशन मार्ग थे जो पिचफोर्क (तीर की तरह) आकार के थे। B-2 बॉम्बर्स से गिराए गए स्मार्ट बमों ने इन वेंट्स को निशाना बनाया और भारी विस्फोट किया।”
ट्रंप के आदेश पर हुआ हमला
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सीधे निर्देश पर इस हमले को अंजाम दिया गया था। नतांज और इस्फहान के परमाणु केंद्रों पर भी हमले हुए, लेकिन सबसे कठिन लक्ष्य फोर्डो था। यहां की मजबूत बनावट के बावजूद अमेरिका ने सटीक रणनीति और प्रौद्योगिकी के बल पर इसे भेद दिया।