मध्यप्रदेश में शिशु सुरक्षा पर संकट, IMR में मामूली सुधार, सीएम ने जताई चिंता

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मध्यप्रदेश शिशु मृत्यु दर 2025

शिशु सुरक्षा में पिछड़ा मध्यप्रदेश, गांवों में सबसे ज्यादा खतरा

मध्यप्रदेश में शिशु मृत्यु दर (Infant Mortality Rate – IMR) को लेकर हालात अब भी बेहद चिंताजनक हैं। हाल ही में जारी रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) के SRS बुलेटिन 2022 के अनुसार, प्रदेश में पिछले दो वर्षों में IMR 43 से घटकर 40 प्रति हजार जीवित जन्म तक पहुंचा है। हालांकि यह मामूली सुधार है, पर मध्यप्रदेश अब भी देश में सबसे अधिक शिशु मृत्यु दर वाला राज्य बना हुआ है।


गांव बनाम शहर: कहां कितनी गंभीर स्थिति?

  • ग्रामीण क्षेत्र: IMR 43 प्रति हजार
  • शहरी क्षेत्र: IMR 28 प्रति हजार

गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, पोषण की समस्या और प्रसवोत्तर देखभाल के अभाव के चलते हालात बेहद गंभीर हैं।


दूसरे राज्यों से तुलना: बिहार और महाराष्ट्र में दिखा असरदार सुधार

बिहार और महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने IMR में तेजी से गिरावट दर्ज की है। वहां कुशल प्रसव, बेहतर पोषण नीति, टीकाकरण और शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की आसान उपलब्धता ने बड़ा फर्क डाला है। खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में इन सुविधाओं का विस्तार प्राथमिक वजह रहा है।


मध्यप्रदेश सरकार के प्रयास, जो नाकाफी साबित हुए

राज्य सरकार ने शिशु सुरक्षा को लेकर कई योजनाएं लागू कीं, लेकिन ground-level पर अब भी चुनौतियां बरकरार हैं:

  • प्रदेश में 62 Sick Newborn Care Units (SNCU) सक्रिय
  • 199 Newborn Stabilizing Units (NBSU) की स्थापना
  • प्रसव केंद्रों पर Newborn Care Corners और जिला अस्पतालों में PICU बने
  • शिशु स्वास्थ्य संस्थानों में मुस्कान कार्यक्रम चलाया गया

इसके बावजूद विशेषज्ञ मानते हैं कि ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं का व्यापक विस्तार और विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता बेहद जरूरी है।


विशेषज्ञों की राय: ये सुधार हैं बेहद जरूरी

डॉ. पंकज शुक्ला (पूर्व संचालक, स्वास्थ्य विभाग) के मुताबिक, निम्नलिखित कदम तत्काल उठाने होंगे:

✅ हर उप-स्वास्थ्य केंद्र पर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर शुरू किया जाए
✅ प्रत्येक जिले में कम से कम 5 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) को First Referral Unit (FRU) बनाया जाए
✅ गाइनकोलॉजिस्ट और बाल रोग विशेषज्ञों की नियुक्ति अनिवार्य की जाए
✅ SNCU और NBSU की संख्या में बढ़ोतरी की जाए


सीएम मोहन यादव का निर्देश: तेजी से सुधार हो

राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में कमिश्नर-कलेक्टर कॉन्फ्रेंस में इस मुद्दे पर गहरी चिंता जताते हुए मातृ-शिशु मृत्यु दर में सुधार के सख्त निर्देश दिए हैं।


IMR क्या है? क्यों मायने रखता है?

Infant Mortality Rate (IMR) किसी क्षेत्र में प्रति 1000 जीवित जन्म पर होने वाली शिशु मृत्यु का आंकड़ा दर्शाता है। यह किसी भी राज्य या देश की स्वास्थ्य व्यवस्था का सबसे बड़ा पैमाना होता है। IMR जितना कम, स्वास्थ्य व्यवस्था उतनी बेहतर मानी जाती है।


समाधान का रास्ता: दूसरे राज्यों से सीख जरूरी

मध्यप्रदेश को बिहार और महाराष्ट्र जैसे राज्यों से सबक लेना चाहिए:

  • कुशल प्रसव सेवाओं का विस्तार
  • प्रसव के बाद नवजात की उचित देखभाल
  • स्तनपान और पोषण पर फोकस
  • सभी बच्चों का समय पर टीकाकरण
  • सामान्य बाल्यावस्था रोगों का प्रभावी उपचार

निष्कर्ष: IMR घटाना प्रदेश की प्राथमिकता हो

अगर प्रदेश को शिशु मृत्यु दर में सुधार करना है तो सिर्फ कागज़ी योजनाओं से नहीं, ज़मीनी स्तर पर ठोस कदम उठाने होंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और विशेषज्ञ डॉक्टरों की मौजूदगी ही IMR को कम करने का सबसे बड़ा जरिया है।

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