BY: Yoganand Shrivastva
भारत में स्थित अमेरिकी दूतावास ने वीजा आवेदकों के लिए एक नया दिशा-निर्देश जारी किया है, जिसमें सोशल मीडिया से जुड़े नियमों को लेकर विशेष रूप से सतर्क किया गया है। दूतावास ने चेताया है कि यदि कोई आवेदक अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स की जानकारी छुपाता है या झूठी जानकारी देता है, तो उसका वीजा रद्द किया जा सकता है या भविष्य में उसे अमेरिका में प्रवेश से स्थायी रूप से वंचित भी किया जा सकता है।
क्या है नया नियम?
नई गाइडलाइन के अनुसार, वीजा के लिए आवेदन करते समय आवेदकों को पिछले पांच वर्षों से इस्तेमाल हो रहे सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की जानकारी देनी होगी। इसमें इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर (अब X), यूट्यूब, लिंक्डइन जैसे अकाउंट शामिल हैं।
दूतावास ने स्पष्ट किया:
“आवेदक इस बात की पुष्टि करें कि वीजा आवेदन में दी गई जानकारी सत्य, पूर्ण और सही है। यदि कोई सोशल मीडिया अकाउंट छिपाया गया, तो आवेदन अस्वीकार किया जा सकता है और भविष्य में वीजा के लिए अयोग्य ठहराया जा सकता है।”
सोशल मीडिया अब निगरानी का टूल
अमेरिकी इमिग्रेशन नीतियों में यह बदलाव पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में शुरू हुआ था। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि सोशल मीडिया पर किसी व्यक्ति के व्यवहार, विचारधारा और संपर्कों से उसकी मंशा का अनुमान लगाया जा सकता है।
इस नीति के तहत अमेरिकी अधिकारी अब सोशल मीडिया की गतिविधियों को गंभीरता से देख रहे हैं — राजनीतिक पोस्ट, मीम्स, कटाक्ष, या किसी संवेदनशील मुद्दे पर राय अब केवल ‘पोस्ट’ नहीं, बल्कि वीजा निर्णय में भूमिका निभाने वाली जानकारी बन चुकी है।
मीम से हुई गिरफ्तारी: एक छात्र की कहानी
इस नीति का असर एक 21 वर्षीय नॉर्वेजियन छात्र पर भी पड़ा, जिसे अमेरिका के न्यूआर्क एयरपोर्ट पर हिरासत में लिया गया। छात्र का दावा था कि उसने अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस पर बने कुछ मीम्स अपने फोन में सेव कर रखे थे। जब अधिकारियों ने उससे फोन पासवर्ड मांगा और उसने इनकार किया, तो उसे कथित रूप से $5,000 जुर्माना या 5 साल की जेल की चेतावनी दी गई।
हालांकि अमेरिकी अधिकारियों ने बाद में यह बयान जारी किया कि छात्र को ड्रग्स के सेवन को स्वीकार करने के कारण रोका गया था, न कि मीम्स की वजह से।
क्यों बढ़ी यह सख्ती?
2024 में अमेरिका के कई कॉलेज परिसरों में हुए फिलिस्तीनी समर्थक प्रदर्शनों के बाद अमेरिकी सरकार ने सोशल मीडिया की मॉनिटरिंग और भी बढ़ा दी है। इस नीति का उद्देश्य उन गतिविधियों की पहचान करना है, जिन्हें अमेरिका में संभावित खतरे के रूप में देखा जा सकता है।