भारत की मिडिल क्लास को अक्सर विकास की इंजन माना जाता है, जो देश की खपत, बचत और कर राजस्व को बढ़ावा देती है। लेकिन इसके पीछे एक गंभीर समस्या छुपी है—मिडिल क्लास की वेतन वृद्धि लगभग ठहर सी गई है, जबकि जीवन यापन की लागत लगातार बढ़ रही है। बैंगलुरू के फिनटेक कंपनी PeepalCo के CEO अशिष सिंघल इसे कहते हैं “सबसे बड़ा धोखा जिसे कोई नहीं बताता।”
इस लेख में हम समझेंगे कि क्यों भारत की मिडिल क्लास की आय ठहर गई है, इसका असर क्या है, और लाखों परिवार इस चुपचाप चल रही आर्थिक चुनौती का सामना कैसे कर रहे हैं।
मिडिल क्लास की वेतन वृद्धि क्यों रुक गई?
पिछले 10 वर्षों में भारत में वे लोग जो 5 लाख से 1 करोड़ रुपए सालाना कमाते हैं, उनकी आय केवल 0.4% वार्षिक वृद्धि के आसपास रही है। वहीं, इस दौरान केवल खाद्य पदार्थों की कीमतों में लगभग 80% की वृद्धि हुई है।
इसका मतलब साफ है:
- वेतन वृद्धि लगभग स्थिर रही
- महंगाई की वजह से असली खरीद क्षमता घट रही है
- परिवार कर्ज और EMI पर निर्भर हो रहे हैं
अशिष सिंघल के अनुसार यह कोई अचानक गिरावट नहीं, बल्कि एक “ठीक-ठाक” दिखने वाला आर्थिक संकट है, जहाँ बाहर से तो सब ठीक लग रहा है लेकिन अंदर से आर्थिक दबाव बढ़ रहा है।
मिडिल क्लास परिवार इस स्थिति से कैसे निपट रहे हैं?
अभी भी मिडिल क्लास के कई परिवार:
- साल में एक बार छुट्टियां मनाते हैं
- नए स्मार्टफोन और गैजेट खरीदते हैं
- कई EMIs चुकाते हैं
लेकिन इसके लिए उन्हें बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है:
- बचत कम हो रही है
- जरूरी स्वास्थ्य जांच टाल दी जाती है
- कर्ज और खर्च को लेकर तनाव बढ़ रहा है
क्यों नजरअंदाज हो रहा है मिडिल क्लास का संकट?
अशिष सिंघल का कहना है कि गरीबों को सरकारी मदद मिलती है और अमीर तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन मिडिल क्लास से चुपचाप बोझ उठाने की उम्मीद की जाती है।
इसके पीछे कुछ कारण हैं:
- सरकारी नीतियाँ गरीब कल्याण और बड़े विकास परियोजनाओं पर केंद्रित हैं
- वेतन वृद्धि या कर्ज राहत के लिए विशेष प्रयास कम हैं
- नई तकनीकें जैसे AI, श्वेतपोश नौकरी को खतरा दे रही हैं
बढ़ती मिडिल क्लास और उनकी आर्थिक चुनौतियां
भारत की मिडिल क्लास तेजी से बढ़ रही है:
- 2021 में करीब 31% जनसंख्या
- 2031 तक बढ़कर 38% तक पहुँचने का अनुमान
- 2047 तक लगभग 60% होने की संभावना
लेकिन इस बढ़ोतरी के बावजूद, आर्थिक सुरक्षा और उन्नति की राह आसान नहीं हो रही। वेतन स्थिर हैं और खर्च बढ़ रहा है, जिससे कर्ज लेना बढ़ रहा है।
मुख्य समस्याएं:
- बढ़ती EMIs और क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल
- स्वास्थ्य और शिक्षा के बढ़ते खर्च
- शहरों में रहने की महंगाई
इसका भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा?
मिडिल क्लास की आय में गिरावट का बड़ा असर होगा:
- देश की खपत और विकास की गति धीमी पड़ेगी
- सामाजिक असमानता और तनाव बढ़ेगा
- आर्थिक गरिमा और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होगा
अशिष सिंघल कहते हैं कि अब समय आ गया है कि इस समस्या को गंभीरता से लिया जाए और इसके समाधान पर ध्यान दिया जाए।
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निष्कर्ष: केवल आंकड़ों से ज्यादा है यह कहानी
मिडिल क्लास की यह वेतन संकट सिर्फ आंकड़े नहीं हैं, बल्कि उन असंख्य परिवारों की कहानी है जो अपनी आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे हैं। अगली बार जब कोई बड़े वेतन की बात करे, तो यह सोचें कि वेतन के बाद उसकी असली जीवनशैली कैसी है।
भारत की मिडिल क्लास को केवल चुपचाप झेलना नहीं, बल्कि आर्थिक मजबूती और बेहतर नीतियों की जरूरत है।





