BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली, पाकिस्तान ने शनिवार को सतह से सतह पर मार करने वाली 450 किलोमीटर रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। इस परीक्षण को सैन्य शक्ति के प्रदर्शन और क्षेत्रीय सुरक्षा संतुलन को प्रभावित करने वाले कदम के रूप में देखा जा रहा है। मिसाइल परीक्षण ऐसे समय पर हुआ है जब भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध पहले से ही कश्मीर घाटी में हालिया आतंकवादी हमलों को लेकर तनावपूर्ण बने हुए हैं।
मिसाइल परीक्षण की जानकारी
पाकिस्तानी सेना की इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) द्वारा जारी बयान में कहा गया कि यह परीक्षण एक “रूटीन ट्रेनिंग एक्टिविटी” का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य सेना की परिचालन तैयारियों का मूल्यांकन करना है। मिसाइल को दक्षिणी पाकिस्तान के एक परीक्षण स्थल से लॉन्च किया गया और इसने पूर्व निर्धारित लक्ष्य को सटीकता से भेदा।
हालांकि, पाकिस्तान ने मिसाइल के नाम और विशिष्ट तकनीकी विवरण सार्वजनिक नहीं किए, लेकिन रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह मिसाइल “हत्फ़” या “गज़नवी” श्रेणी की हो सकती है, जो पाकिस्तान के परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम शस्त्रागार का हिस्सा हैं।
भारत-पाक संबंधों पर असर
विश्लेषकों का मानना है कि यह परीक्षण भारत के प्रति एक “संदेश” भी हो सकता है। दरअसल, हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव काफी बढ़ गया है। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान-स्थित आतंकी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया था।
इस संदर्भ में, मिसाइल परीक्षण को पाकिस्तानी सेना की घबराहट और दबाव में उठाया गया कदम भी माना जा रहा है। भारत की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियां स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।
पिछले असफल परीक्षणों की पृष्ठभूमि
इससे पहले, 23 अप्रैल और 26-27 अप्रैल को पाकिस्तान ने मिसाइल परीक्षण की सूचना तो दी थी, लेकिन उन दोनों अवसरों पर कोई वास्तविक परीक्षण नहीं हुआ था। यहां तक कि 2 मई को भी पाकिस्तान ने भारत के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन (EEZ) के पास परीक्षण का नोटिफिकेशन जारी किया, लेकिन अंतिम समय पर परीक्षण स्थगित कर दिया गया।
रणनीतिक विश्लेषण
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान का यह कदम उसके सामरिक संतुलन बनाए रखने की नीति का हिस्सा है। यह मिसाइल परीक्षण केवल तकनीकी प्रदर्शन नहीं, बल्कि राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक दबाव की रणनीति भी है। दक्षिण एशिया में पहले ही सामरिक अस्थिरता बनी हुई है, और ऐसे कदम क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए ख़तरनाक संकेत हो सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने बार-बार दक्षिण एशिया में हथियारों की दौड़ पर चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र ने भी पाकिस्तान और भारत दोनों से संयम बरतने की अपील की है। ऐसे में पाकिस्तान का यह मिसाइल परीक्षण नई बहस को जन्म दे सकता है कि क्या दक्षिण एशिया अब फिर से एक नई सैन्य होड़ की ओर बढ़ रहा है?
03 मई 2025 का पूरा टीर रिजल्ट: शिलांग, जुवाई और खानापाड़ा के नंबर!…यह भी पढ़े





