गूगल पे ने अब क्रेडिट और डेबिट कार्ड से किए जाने वाले कुछ भुगतानों पर सुविधा शुल्क लागू करना शुरू कर दिया है। इसमें बिजली और गैस बिल जैसे उपयोगिता भुगतान शामिल हैं, जो पहले छोटे मूल्य के लेनदेन के लिए मुफ्त थे। यह शुल्क 0.5% से 1% तक है, जिसमें जीएसटी भी जोड़ा जाता है। इस कदम के साथ गूगल पे ने फोनपे और पेटीएम जैसे अन्य यूपीआई प्लेटफॉर्म्स की राह अपनाई है, जो पहले से ही ऐसी फीस वसूलते हैं।
गूगल पे की सुविधा शुल्क की जानकारी
ईटी की एक समीक्षा के अनुसार, एक ग्राहक को क्रेडिट कार्ड से बिजली बिल का भुगतान करते समय करीब 15 रुपये का “सुविधा शुल्क” देना पड़ा। इसमें जीएसटी शामिल था और इसे “डेबिट व क्रेडिट कार्ड लेनदेन के लिए प्रसंस्करण शुल्क” के रूप में बताया गया। गूगल पे की वेबसाइट के मुताबिक, यह शुल्क केवल कार्ड से भुगतान पर लागू होता है, जबकि बैंक खाते से सीधे जुड़े यूपीआई लेनदेन मुफ्त रहेंगे। हालांकि, इस शुल्क को लागू करने की सटीक तारीख स्पष्ट नहीं है।
अन्य प्लेटफॉर्म्स पर भी शुल्क
फोनपे भी कार्ड से कुछ खास बिल भुगतानों, जैसे पानी, पाइप्ड गैस और बिजली, पर सुविधा शुल्क लेता है। वहीं, पेटीएम यूपीआई रिचार्ज और विभिन्न बिल भुगतानों (जैसे गैस, पानी और क्रेडिट कार्ड भुगतान) के लिए 1 से 40 रुपये तक का प्लेटफॉर्म शुल्क वसूलता है।
यूपीआई लेनदेन की लागत और सरकारी नीतियां
यूपीआई के व्यापक उपयोग के बावजूद, फिनटेक कंपनियों को इससे सीधे आय अर्जित करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पीडब्ल्यूसी के अनुसार, यूपीआई के व्यक्ति-से-व्यापारी लेनदेन की प्रक्रिया लागत लगभग 0.25% होती है। वित्त वर्ष 2024 में, यूपीआई लेनदेन की प्रक्रिया पर 12,000 करोड़ रुपये खर्च हुए, जिसमें से 4,000 करोड़ रुपये 2,000 रुपये से कम के लेनदेन पर खर्च हुए।
2020 से, भारत सरकार ने 2,000 रुपये से कम के यूपीआई लेनदेन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) माफ कर दिया है ताकि डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिले। 2021 से, सरकार ने छोटे लेनदेन के लिए एमडीआर लागत को वहन करना शुरू किया। 2,000 रुपये से अधिक के लेनदेन पर 1.1% मर्चेंट शुल्क लेने की अनुमति है।
यूपीआई की बढ़ती लोकप्रियता
यूपीआई लेनदेन की मात्रा और मूल्य लगातार बढ़ रहे हैं। जनवरी 2025 में, यूपीआई ने 16.99 अरब लेनदेन दर्ज किए, जिनका कुल मूल्य 23.48 लाख करोड़ रुपये था। यह दिसंबर 2024 की तुलना में 1.55% मात्रा और 1% मूल्य में वृद्धि दर्शाता है, जो साल-दर-साल 39% की बढ़ोतरी को दर्शाता है।
उद्योग विशेषज्ञ की राय
एक उद्योग विशेषज्ञ ने कहा, “भारत सरकार ने यूपीआई के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। छोटे मूल्य के लेनदेन की लागत को वहन करके सरकार ने इसके उपयोग को प्रोत्साहित किया है। हालांकि, छोटे लेनदेन पर एमडीआर की अनुपस्थिति ने यूपीआई प्लेटफॉर्म्स के लिए उपयोगकर्ताओं से सीधे राजस्व कमाने के अवसर सीमित कर दिए हैं।”
निष्कर्ष
गूगल पे का यह नया शुल्क नीति बदलाव डिजिटल भुगतान क्षेत्र में एक बड़ा कदम है। जहां यह उपयोगकर्ताओं के लिए अतिरिक्त लागत लाता है, वहीं यह फिनटेक कंपनियों के लिए राजस्व बढ़ाने का एक प्रयास भी है। क्या यह बदलाव यूपीआई की लोकप्रियता को प्रभावित करेगा, यह आने वाले समय में देखना दिलचस्प होगा।