ढाका: बांग्लादेश में बीते साल 5 अगस्त को तख्तापलट के बाद पीएम शेख हसीना को सत्ता से बेदखल कर दिया गया था। हिंसा के बीच वह विमान से भारत चली गई थीं। उसके बाद से ही बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार सरकार सत्ता में है। इस बीच खबर आ रही है कि बांग्लादेशी कट्टरपंथी अब सेना पर भी अपनी पकड़ मजबूत करने की फिराक में हैं। लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैज-उर रहमान की लीडरशिप में ऐसा हो सकता है। बांग्लादेश की सेना में वह फिलहाल क्वार्टर मास्टर जनरल हैं और कट्टर इस्लामिक विचारधारा वाले माने जाते हैं। जानकारी के मुताबिक मौजूदा आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमां को उनके पद से हटा सकते हैं। पिछले सप्ताह जब आईएसआई के चीफ ढाका आए तो उनसे मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व फैज-उर-रहमान ने ही किया था। कहा तो यहां तक जा रहा है कि आईएसआई की शह पर बांग्लादेश की सेना को ढालने की कोशिश की जा रही है। खासतौर पर बांग्लादेश की सेना से भारत की छाप को हटाने का प्रयास है। एक रिपोर्ट के मुताबिक फैज-उर-रहमान की कोशिश है कि सेना के भीतर ही इतना समर्थन जुटा लिया जाए कि वकार को हटना पड़े। इसके लिए बांग्लादेश की खुफिया एजेंसी डीजीएफआई का भी साथ लेने की कोशिश की जा रही है। वकार-उज-जमां को मध्यमार्गी विचारधारा वाला सैन्य लीडर माना जाता है। वह भारत के समर्थक हैं और सीमा पर भारत के साथ शांति और सहयोग बनाए रखने में उनकी अहम भूमिका रही है। देश पर इस्लामिक ताकतों के कब्जे के बाद भी वह अब तक सेना को कट्टरपंथी ताकतों से बचाए रखने में सफल हैं। वकार-उज-जमां की ही देन है कि शेख हसीना को सैन्य विमान के जरिए सुरक्षित भारत आने दिया गया। यदि शेख हसीना को ऐसी सुविधा समय पर नही मिलती तो आज वह जेल में होतीं या फिर हिंसक प्रदर्शनों की आड़ में उनके साथ कोई दुर्घटना भी हो सकती थी। जानकारी यह भी मिली है कि आईएसआई के कुछ अधिकारी जब ढाका पहुंचे तो वे भारत से लगी सीमा को भी देखने पहुंचे। इसे भारत की सुरक्षा के लिहाज से चिंताजनक माना जा रहा है। पाकिस्तानी अधिकारियों की अगुवाई लेफ्टिनेंट जनरल रहमान ने की और वह ही उनको कई स्थानों पर लेकर गए। बांग्लादेश की मीडिया में इस मामले पर कुछ कहा नहीं, लेकिन खबर है कि दोनों देशों के बीच खुफिया नेटवर्क मजबूत करने पर बात हुई है। ऐसा हुआ तो पूर्वोत्तर भारत के राज्यों के लिए यह चिंता की बात है।
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