by: vijay nandan
ढाका: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने अपना बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाया। अदालत ने 2024 में हुए छात्र आंदोलनों के दौरान हुई हिंसाओं और करीब 1400 मौतों की जिम्मेदारी हसीना पर तय करते हुए उन्हें सजा सुनाई है। फैसले के साथ राजधानी ढाका और अन्य शहरों में भारी तनाव का माहौल बन गया है।
फैसला सुनते ही सुरक्षा कड़ी
अदालत के फैसले के लाइव प्रसारण के दौरान ही ढाका में सुरक्षा बलों की तगड़ी तैनाती की गई। हिंसा की आशंका को देखते हुए पुलिस को प्रदर्शनकारियों पर सीधे गोली चलाने के आदेश तक दिए गए हैं। धानमोंडी स्थित हसीना के आवास के बाहर बड़ी संख्या में लोग जमा हैं, जिनके साथ बुलडोजर भी देखे गए। ICT ने इस मामले में 54 गवाहों के बयान सुने और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों की रिपोर्ट सहित देशभर से जुटाए गए तकनीकी व डिजिटल साक्ष्यों का अध्ययन किया। अदालत के अनुसार शेख हसीना, उस समय के गृह मंत्री और पुलिस चीफ ने मिलकर आंदोलन को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने के आदेश दिए थे।
जजों ने कहा कि शेख हसीना ने अपने बयानों और निर्देशों के माध्यम से हिंसा को रोकने में न सिर्फ विफलता दिखाई, बल्कि कुछ मौकों पर कठोर कार्रवाई को बढ़ावा दिया। अदालत ने यह भी दावा किया कि ढाका विश्वविद्यालय के उपकुलपति के बयान के अनुसार हसीना ने कुछ छात्रों के खिलाफ कठोर शब्दों का इस्तेमाल किया था।

पूर्व प्रधानमंत्री के समर्थक इस फैसले को राजनीतिक प्रतिशोध करार दे रहे हैं। उनका कहना है कि शेख हसीना ने अपने कार्यकाल में देश को स्थिरता और विकास की राह पर लाने के लिए कठोर कदम उठाए और प्रदर्शनकारियों की आड़ में हिंसा फैलाने वाली ताकतों पर कार्रवाई की गई थी। राजधानी ढाका के कई इलाकों में तनाव बढ़ गया है। शहर में करीब 15,000 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। अदालत के फैसले के बाद भीड़ के बेकाबू होने की आशंका के चलते धानमोंडी और आस-पास के इलाकों में सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
आगे क्या?
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार हसीना की टीम ऊपरी अदालत में अपील कर सकती है। फिलहाल फैसले से बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल एक बार फिर तेज हो गया है।
अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) कहां हैं ?
अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT – International Crimes Tribunal) बांग्लादेश की एक विशेष अदालत है, जिसे मुख्य रूप से मानवता के खिलाफ अपराध, नरसंहार, और युद्ध अपराधों से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए बनाया गया है। यह ट्राइब्यूनल बांग्लादेश सरकार द्वारा स्थापित है और इसका उद्देश्य 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान हुए अत्याचारों और अपराधों के लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाना है।





