BY: Yoganand Shrivastva
भिंड |भिंड जिले के गांधी नगर निवासी रविंद्र सिंह चौहान, जो ग्वालियर में एक ढाबे पर खाना बनाने का काम करते हैं, हाल ही में तब हैरान रह गए जब उनके नाम पर आयकर विभाग से नोटिस आया। नोटिस में बताया गया कि उनके खाते से करोड़ों का लेन-देन हुआ है। जबकि उनकी सालभर की कमाई तीन लाख रुपये से भी कम है।
रविंद्र ने जांच कराई तो पता चला कि दिल्ली स्थित उनके नाम के एक बैंक खाते से 46 करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ है। यह वही खाता है जो उन्होंने एक टोल कंपनी में काम करते समय अपने सुपरवाइजर के कहने पर खुलवाया था।
मुश्किल हालातों में नौकरी की तलाश
रविंद्र की पढ़ाई छठवीं कक्षा के बाद आर्थिक तंगी के कारण छूट गई। घर का खर्च चलाने के लिए उन्होंने छोटे-मोटे काम शुरू किए और फिर खाना बनाने का हुनर सीख लिया। वह अब ग्वालियर के एक ढाबे पर काम करते हैं।
6 जुलाई 2017 को उन्होंने ग्वालियर बायपास स्थित एक टोल प्लाजा के कैंटीन में हेल्पर का काम शुरू किया। यहां उन्हें 10,000 रुपये वेतन मिलता था।
नए बैंक खाते का लालच
2018 में बिहार के बक्सर निवासी शशिभूषण राय टोल प्लाजा का सुपरवाइजर बनकर आया। दोनों के बीच बातचीत बढ़ी और रविंद्र ने उसे अपनी आर्थिक तंगी का जिक्र किया। शशिभूषण ने सुझाव दिया कि वह कंपनी के पीएफ का पैसा निकाल सकता है। उसने कहा कि इसके लिए नया बैंक खाता खुलवाना जरूरी है और इस खाते में समय-समय पर कंपनी की ओर से अतिरिक्त इंसेंटिव भी आएंगे।
अच्छी कमाई के लालच में रविंद्र राजी हो गए। नवंबर 2019 में रविंद्र सहित चार कर्मचारियों को शशिभूषण दिल्ली ले गया। सभी के नाम से बैंक में नए खाते खुलवाए गए।
खाता बंद करने की कोशिश नाकाम
आठ महीने बीतने के बाद भी न पीएफ का पैसा आया, न कोई इंसेंटिव। रविंद्र ने खाता बंद करवाने के लिए बैंक से संपर्क किया, लेकिन उन्हें बताया गया कि इसके लिए जीएसटी शाखा की अनुमति जरूरी है। उन्होंने फिर शशिभूषण से संपर्क किया, जिसने भरोसा दिलाया कि वह खाता बंद करवा देगा।
फरवरी 2022 में शशिभूषण नौकरी छोड़कर बिहार चला गया। 2023 में टोल प्लाजा का ठेका खत्म हुआ और रविंद्र की नौकरी भी चली गई।
पुणे में काम करते समय आया आयकर नोटिस
रोज़गार की तलाश में रविंद्र पुणे चले गए और वहां एक ढाबे में काम करने लगे। इस बीच अप्रैल 2025 में उनके घर आयकर विभाग का नोटिस पहुंचा, जो अंग्रेजी में था। कम पढ़े-लिखे होने के कारण वह नोटिस को समझ नहीं पाए। जुलाई में दूसरा नोटिस आया, तब वह पुणे से घर लौटे और परिचित वकील प्रद्युम्न सिंह भदौरिया से संपर्क किया।
खुला करोड़ों के लेन-देन का राज
वकील भदौरिया ने ग्वालियर आयकर कार्यालय से संपर्क कर पुष्टि की कि नोटिस असली है। जांच में पता चला कि रविंद्र के नाम से दो बैंक खाते हैं – एक भिंड में, दूसरा दिल्ली में। दिल्ली वाला खाता ‘शौर्या ट्रेडिंग कंपनी’ से जुड़ा है और उससे 46 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है।
दिल्ली वाले खाते में फिलहाल लगभग 13 लाख रुपये जमा हैं। यह जानने के बाद रविंद्र ने शशिभूषण के साथ हुई पूरी घटना वकील को बताई। फिर ग्वालियर के सिरौल थाने में इसकी शिकायत दर्ज कराई।
मामला अब जांच के दायरे में
आयकर विभाग और पुलिस अब मामले की जांच कर रहे हैं। रविंद्र का कहना है कि वह एक साधारण कुक है और अपने परिवार का खर्च मुश्किल से चला पाता है। उसे उम्मीद है कि जांच के बाद असली दोषियों पर कार्रवाई होगी।





