BY: Yoganand Shrivastva
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में करीब 2 लाख शिक्षक नौकरी के संकट का सामना कर रहे हैं। कारण सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश है, जिसके तहत अब सभी सरकारी शिक्षकों को अगले दो वर्षों में टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) पास करना अनिवार्य होगा। यदि शिक्षक इस अवधि में TET पास नहीं कर पाते, तो उन्हें नौकरी से मुक्त कर दिया जाएगा।
यह स्थिति उन शिक्षकों के लिए गंभीर है, जो उस समय भर्ती हुए थे जब शिक्षक बनने के लिए केवल 12वीं पास होना पर्याप्त था। उदाहरण के तौर पर अमेठी जिले के अब्दुल राशिद, जिनकी उम्र 53 साल है, ने बताया कि उन्हें 20 साल पहले मृतक पिता के आश्रित के रूप में नौकरी मिली थी। उस वक्त न्यूनतम अर्हता 12वीं पास थी। अब उन्हें ग्रेजुएशन किए बिना TET पास करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितंबर 2025 को तमिलनाडु और महाराष्ट्र में TET अनिवार्यता से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान निर्णय दिया कि जिन शिक्षकों के पास नौकरी में 5 साल से अधिक समय बचा है, उन्हें अनिवार्य रूप से TET पास करना होगा। अन्यथा उन्हें इस्तीफा देना या अनिवार्य सेवानिवृत्ति लेना होगा। इस आदेश का प्रभाव पूरे देश में करीब 10 लाख शिक्षकों पर पड़ेगा।
शिक्षकों की प्रतिक्रिया
अब्दुल राशिद कहते हैं कि TET पास करना मुश्किल नहीं है, लेकिन उन्हें ग्रेजुएशन का अवसर भी दिया जाना चाहिए। “हमने उस समय केवल 12वीं पास होकर नौकरी पाई थी और अब लगातार पढ़ाने के अनुभव के बाद हमें परीक्षा देने के लिए कहा जा रहा है, यह उचित नहीं है।”
सीतापुर के सहायक अध्यापक संदीप यादव का कहना है कि नियमों को नौकरी मिलने के बाद बदलना गलत है। “हमने पहले सारी अर्हताएँ पूरी की थीं। अब दो साल में परीक्षा पास करने का दबाव बच्चों की पढ़ाई पर भी असर डालेगा। सरकार को शिक्षकों की स्थिति को ध्यान में रखकर अदालत में उनका पक्ष रखना चाहिए।”