BY: MOHIT JAIN
राजधानी भोपाल की पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्यवस्था इस समय बदहाली का शिकार है। शहर में पहले जहां 368 सिटी बसें दौड़ रही थीं, वहीं अब सिर्फ 95 बसें ही सड़क पर नजर आती हैं। कई रूट पूरी तरह ठप हो चुके हैं, जिससे रोजाना करीब एक लाख यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ रही है।
ऐसे हालात में नगर निगम ने लोगों को राहत देने के लिए नए साल से 100 ई-बसें शुरू करने की तैयारी तेज कर दी है। दावा है कि पीएम ई-बस सेवा (Phase-1) के तहत यह बसें जनवरी से सड़कों पर दौड़ेंगी।
नए साल से ई-बस सेवा की शुरुआत

- Phase-1 में 100 ई-बसें मिलेंगी।
- इनके लिए संत हिरदाराम नगर (बैरागढ़) और कस्तूरबा नगर में दो नए डिपो बनाए जा रहे हैं।
- बसों के संचालन के लिए नया ऑपरेटर भी तय कर लिया गया है।
वहीं Phase-2 में 95 और ई-बसें आएंगी। इसके लिए आरिफ नगर और कोलार रोड पर डिपो तैयार किए जाएंगे। हालांकि इसके ऑपरेटर का चयन अभी बाकी है।
सांसदों ने जताई चिंता
मंगलवार को हुई जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति (दिशा) की बैठक में भी सिटी बसों का मुद्दा उठा।
- सांसद आलोक शर्मा ने हैरानी जताई कि 368 में से केवल 95 बसें ही क्यों चल रही हैं।
- उन्होंने निगम कमिश्नर से पूछा कि किस ऑपरेटर की कितनी बसें चल रही हैं और बाकी क्यों बंद हैं।
- विधायक भगवानदास सबनानी ने भी इस पर सहमति जताई।
सांसद शर्मा ने कहा कि भोपाल का पब्लिक ट्रांसपोर्ट मजबूत होना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि महापौर स्मार्ट पास योजना को फिर से शुरू किया जाए तो छात्रों, महिलाओं, दिव्यांगों और वरिष्ठ नागरिकों को बड़ा फायदा मिलेगा।
बसें बंद क्यों हुईं?
पिछले एक साल में भोपाल की सड़कों से करीब 250 बसें गायब हो गईं।
- टिकट कलेक्शन को लेकर विवाद,
- पेनल्टी का मुद्दा,
- और हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं की वजह से ऑपरेटरों ने बसों का संचालन रोक दिया।
हजारों छात्र-छात्राएं और नौकरीपेशा लोग रोजाना घंटों बसों के इंतजार में खड़े रहते हैं।
पहले चार एजेंसियां चलाती थीं बसें
भोपाल में सिटी बसों का संचालन BCLL (भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड) के जरिए 4 एजेंसियां करती थीं।
- मां एसोसिएट्स
- एपी मोटर्स
- श्री दुर्गांबा
- आई-मोबिलिटी
इनमें से सबसे पहले जुलाई 2024 में मां एसोसिएट्स ने 149 बसों का संचालन बंद किया था। वजह थी – टिकट कलेक्शन एजेंसी ‘चलो एप’ द्वारा प्रति किलोमीटर दी जाने वाली राशि घटाने की मांग। जब समाधान नहीं मिला तो धीरे-धीरे बाकी एजेंसियां भी पीछे हटने लगीं।
जरूरत है दोगुनी बसों की
एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक भोपाल जैसे शहर में कम से कम 800 बसें होनी चाहिएं। लेकिन हालात इसके बिल्कुल उलट हैं। बसों की संख्या घट रही है और यात्रियों की दिक्कतें बढ़ रही हैं।
हालांकि, उम्मीद है कि ई-बसों की शुरुआत से शहरवासियों को काफी राहत मिलेगी और सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था पटरी पर लौटेगी।