BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली, दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि अगर पत्नी अपने पति पर परिवार से संबंध तोड़ने का लगातार दबाव डालती है, तो यह मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। अदालत ने पारिवारिक न्यायालय द्वारा दिए गए तलाक के आदेश को बरकरार रखते हुए पत्नी की अपील खारिज कर दी।
अदालत का निर्णय
जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने 16 सितंबर को दिए अपने फैसले में स्पष्ट किया कि:
- केवल अलग रहने की इच्छा रखना क्रूरता नहीं माना जा सकता।
- लेकिन पति को उसकी विधवा मां, तलाकशुदा बहन और परिवार से अलग करने का दबाव डालना मानसिक क्रूरता है।
- बार-बार सार्वजनिक अपमान और मौखिक दुर्व्यवहार भी तलाक का वैध आधार है।
पत्नी की अपील खारिज
हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी पहले यह स्पष्ट कर चुका है कि किसी महिला द्वारा पति को उसके माता-पिता से दूर करने की कोशिश, वैवाहिक जीवन में मानसिक उत्पीड़न का कारण बनती है। इसी आधार पर अदालत ने तलाक को सही ठहराया और पत्नी की अपील को खारिज कर दिया।
पति पर डाला गया दबाव
अदालत ने आदेश में उल्लेख किया कि महिला बार-बार इस बात पर अड़ी रही कि वह संयुक्त परिवार में नहीं रहना चाहती। उसने पति पर न केवल पारिवारिक संपत्ति का बंटवारा करने का दबाव बनाया, बल्कि उसे अपनी मां और बहन से भी अलग रहने के लिए मजबूर किया।
इसके अलावा, पत्नी द्वारा पति और उसके परिवार को बार-बार धमकाना और पुलिस शिकायत दर्ज कराना, अदालत के अनुसार, क्रूरता का सबसे स्पष्ट उदाहरण था।





