स्टॉल पर आचार्य प्रशांत का फोटो लगाने के पीछे का क्या है सच? सब कुछ जानिए…
प्रयागराज: सनातन धर्म के की धारा के निरंतर प्रवाहित करने वाले महाकुंभ में करोड़ों लोग रोज सम्मिलित हो रहे हैं। महाकुंभ में सबकी गहरी बल्कि अपने प्राणों से भी ज्यादा आस्था है। लेकिन महाकुंभ में कुछ लोग ऐसे भी पहुंचे हैं, जो महाकुंभ को अंधविश्वास और पाखंड बताने का प्रयास कर रहे हैं।
प्रयागराज में महाकुंभ क्षेत्र में मकर संक्रांति के अमृत स्नान के दौरान एक अजीब वाक्या देखने को मिला। कुछ लोग अपनी तुच्छ मानसिकता का प्रदर्शन करते हुए महाकुंभ मेला क्षेत्र में पोस्टर लेकर खड़े थे, इन पोस्टर्स पर लिखा था ‘हमारा महाकुंभ एक पाखंड’ है। इतना ही नहीं जिस जगह ये स्टॉल लगा हुआ था, वहां कुछ लोग लाउडस्पीकर पर अनाउंसमेंट भी कर रहे थे, माइक पर भी महाकुंभ विरोधी बातें कही जाने की बात सामने आ रही है। बताया जाता है कि अपने तर्क से संबंधित किताबें भी बांटी जा रही थी। लेकिन तभी वहां से कुछ नागा संन्यासी गुजर रहे थे। उन्हें धर्म का अपमान और सनातन संस्कृति का अपमान सहन नहीं हुआ और उन्होंने पहले तो वहां मौजूद सनातन विरोधी लोगों को समझाया, लेकिन जब वे नागा साधुओं की बात नहीं माने तो साधुओं ने तलवार और त्रिशूल निकाल लिए। थोड़ी ही देर में सनातनी लोग भी वहां इकट्टा हो गए। उसके बाद इन महाकुंभ विरोधी मानसिकता के लोगों को जमकर धुनाई की गई। स्टॉल में रखी महाकुंभ विरोधी किताबे और सामान को आग के हवाले कर दिया गया। इस पूरे विवाद का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। सवाल यूपी पुलिस पर भी उठ रहे हैं कि महाकुंभ मेला क्षेत्र में महाकुंभ विरोधी स्टॉल कैसे लग गया। इस स्टॉल से महाकुंभ विरोधी बातें कैसे लाउटस्पीकर पर बोली जा रही थी। पुलिस उस दौरान क्या कर रही थी। बताया जाता है कि पुलिस इस वीडियो को संज्ञान में लेकर जांच कर रही है। पुलिस की जांच के बाद ही इसकी सच्चाई सामने आ पाएगी कि आखिर महाकुंभ विरोधी वो लोग कौन थे।
महाकुंभ विरोधी स्टॉल पर लगा था आचार्य प्रशांत का फोटो !
इस पूरे विवाद में गौर करने वाली बात ये है कि महाकुंभ को जो लोग पाखंड और अंधविश्वास बता रहे थे उन्होंने आचार्य प्रशांत का फोटो लगा रखा था। अब सवाल ये है कि क्या ये लोग आचार्य प्रशांत के फॉलोअर्स थे, यदि आचार्य प्रशांत के फॉलोअर्स नहीं थे, तो उनकी लिखी किताबों का स्टॉल क्यों लगाया था, उनका फोटो क्यों लगाया हुआ था। इस बात का जवाब तो आचार्य प्रशांत ही दे सकते हैं। यदि आचार्य प्रशांत के समर्थक थे भी तो महाकुंभ को पाखंड और अंधविश्वास क्यों बता रहे थे। कई सवाल हैं जिनके जवाब खुद आचार्य प्रशांत ही दे सकते हैं। यदि उनके नाम का गलत इस्तेमाल किया जा रहा था या उनका फोटो लगा कर उनकी छवि धूमिल की जा रही थी तो इसका उत्तर आचार्य प्रशांत ही दे सकते हैं।
कौन हैं आचार्य प्रशांत ?
प्रशांत त्रिपाठी, जिन्हें आचार्य प्रशांत के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय लेखक और अद्वैत शिक्षक हैं। वह सत्रह प्रकार की गीता और साठ प्रकार के उपनिषद पढ़ाते हैं। वह प्रशांत अद्वैत फाउंडेशन नामक एक गैर-लाभकारी संगठन के संस्थापक हैं, और एक पशु अधिकार कार्यकर्ता भी हैं।