हेलो दोस्तों, आज हम एक ऐसे मुद्दे पर बात करेंगे जो भारत में लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है – वीआईपी कल्चर। ये वो संस्कृति है जहां कुछ लोग, जिनके पास पावर, पैसा या राजनीतिक रसूख है, खुद को आम लोगों से ऊपर समझते हैं। ये लोग न सिर्फ विशेष सुविधाएं मांगते हैं, बल्कि कई बार आम लोगों के साथ बदतमीजी और दुर्व्यवहार भी करते हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश के देवास माता टेकरी मंदिर में हुई घटना ने इस मुद्दे को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। तो चलिए, इस घटना और इससे मिलती-जुलती अन्य घटनाओं के साथ-साथ वीआईपी कल्चर की गहराई में उतरते हैं।
वीआईपी कल्चर क्या है?
भारत में वीआईपी कल्चर का मतलब है कुछ लोगों का ये मानना कि वो नियम-कानून से ऊपर हैं। ये लोग चाहे नेता हों, उनके रिश्तेदार हों, या फिर बड़े बिजनेसमैन, इन्हें लगता है कि इनके लिए अलग नियम होने चाहिए। लाल बत्ती, सिक्योरिटी काफिले, और आम लोगों को परेशान करके रास्ता साफ करवाना – ये सब वीआईपी कल्चर के प्रतीक बन चुके हैं। लेकिन सबसे गंभीर बात तब होती है जब ये लोग आम लोगों के साथ बदतमीजी करते हैं, उनकी इज्जत को ठेस पहुंचाते हैं, और कानून को ताक पर रखते हैं।
देवास माता टेकरी मंदिर की घटना
आइए अब बात करते हैं हाल ही में मध्य प्रदेश के देवास में हुई घटना की। 11 अप्रैल 2025 की रात को माता टेकरी मंदिर में एक हैरान करने वाला वाकया हुआ। खबरों के मुताबिक, रात के करीब 12 बजे 30-40 लोगों का एक समूह मंदिर में जबरदस्ती घुस गया। मंदिर उस समय बंद था, और पुजारी ने नियमों का हवाला देकर उन्हें अंदर आने से मना किया। लेकिन इस समूह ने न सिर्फ मंदिर में जबरन प्रवेश किया, बल्कि पुजारी के साथ मारपीट भी की।
इस घटना ने सोशल मीडिया और न्यूज चैनलों पर तूफान मचा दिया। विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने दावा किया कि इस समूह में एक बीजेपी विधायक का बेटा शामिल था, हालांकि पुलिस ने इसकी पुष्टि नहीं की है। पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की है और सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही है। लेकिन सवाल ये उठता है – आखिर इतनी रात को इतने सारे लोग मंदिर में क्या करने आए थे? और अगर पुजारी ने नियमों का पालन किया, तो उसे क्यों निशाना बनाया गया?

ये घटना वीआईपी कल्चर का एक जीता-जागता उदाहरण है। कुछ लोग, जिन्हें लगता है कि उनके रसूख के आगे कोई नियम नहीं टिकता, वो आम लोगों के साथ ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे उनकी कोई कीमत ही न हो। माता टेकरी मंदिर की घटना ने ये साफ कर दिया कि ये लोग न सिर्फ कानून तोड़ते हैं, बल्कि धार्मिक स्थानों की पवित्रता को भी भंग करते हैं।
ऐसी ही अन्य घटनाएं
देवास की घटना कोई इकलौती मिसाल नहीं है। भारत में वीआईपी कल्चर की वजह से आम लोगों के साथ बदतमीजी के कई मामले सामने आते रहते हैं। आइए कुछ उदाहरण देखते हैं:
- सुखबीर सिंह जौनपुरिया का मामला (2023): राजस्थान के बीजेपी सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वो एक टोल प्लाजा कर्मचारी को धमकी दे रहे थे। कर्मचारी ने उनसे टोल टैक्स मांगा था, लेकिन सांसद महोदय को ये बात नागवार गुजरी। उन्होंने कर्मचारी को नौकरी से निकलवाने की धमकी दी और अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। ये घटना दिखाती है कि कुछ नेताओं को लगता है कि टोल जैसे छोटे-छोटे नियम उनके लिए नहीं बने।
- पंजाब में सरकारी गाड़ी का दुरुपयोग (2024): पंजाब में एक विधायक के बेटे ने सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल करके एक रेस्तरां के बाहर हंगामा किया। जब स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया, तो उनके साथ मारपीट की गई। इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई तो की, लेकिन बाद में इसे रफा-दफा करने की कोशिश हुई। ये दिखाता है कि वीआईपी कल्चर में न सिर्फ बदतमीजी होती है, बल्कि कई बार कानून को भी दबाने की कोशिश की जाती है।
- मुंबई में अभिनेता का हंगामा (2022): मुंबई में एक मशहूर अभिनेता ने ट्रैफिक पुलिस के साथ बदतमीजी की, जब उसे नियम तोड़ने की वजह से रोका गया। अभिनेता ने पुलिस को धमकाया और अपनी सेलिब्रिटी स्टेटस का हवाला दिया। इस घटना ने सोशल मीडिया पर खूब बवाल मचाया, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
इन सभी घटनाओं में एक बात कॉमन है – पावर का दुरुपयोग। चाहे वो नेता हों, उनके रिश्तेदार हों, या फिर सेलिब्रिटी, इनका मानना है कि वो जो चाहें कर सकते हैं, और आम आदमी को सिर्फ चुपचाप सहना चाहिए।
वीआईपी कल्चर के पीछे की वजहें
तो सवाल ये है कि आखिर वीआईपी कल्चर इतना गहरा क्यों है? इसके कुछ कारण हैं:
- औपनिवेशिक मानसिकता: ब्रिटिश राज के समय से ही भारत में रसूखदार लोगों के लिए विशेष सुविधाएं थीं। आजादी के बाद भी ये मानसिकता खत्म नहीं हुई। लाल बत्ती और सिक्योरिटी जैसे प्रतीक उसी का हिस्सा हैं।
- कमजोर कानून लागू करना: कई बार पुलिस और प्रशासन वीआईपी लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने में हिचकिचाते हैं। इसका फायदा उठाकर ये लोग और बेखौफ हो जाते हैं।
- सामाजिक स्वीकृति: हमारे समाज में पावर और पैसों को बहुत ज्यादा सम्मान दिया जाता है। इससे वीआईपी लोगों का हौसला और बढ़ता है।
- मीडिया की भूमिका: कुछ न्यूज चैनल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीआईपी लोगों को हीरो की तरह पेश करते हैं, जिससे उनकी गलत हरकतें नजरअंदाज हो जाती हैं।
इसका समाधान क्या है?
वीआईपी कल्चर को खत्म करना आसान नहीं है, लेकिन कुछ कदम इसे कम जरूर कर सकते हैं:
- कानून का सख्ती से पालन: चाहे कोई कितना भी बड़ा नेता या सेलिब्रिटी हो, नियम तोड़ने की सजा बराबर होनी चाहिए। पुलिस और कोर्ट को बिना दबाव के काम करना होगा।
- लाल बत्ती और विशेष सुविधाएं हटाना: 2017 में केंद्र सरकार ने लाल बत्ती हटाने का फैसला लिया था, लेकिन अभी भी कई लोग अनौपचारिक रूप से विशेष सुविधाएं लेते हैं। इसे पूरी तरह बंद करना होगा।
- जागरूकता फैलाना: सोशल मीडिया और न्यूज चैनलों के जरिए आम लोगों को वीआईपी कल्चर के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित करना होगा।
- पारदर्शिता: हर घटना की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, और उसका रिजल्ट जनता के सामने आना चाहिए। जैसे माता टेकरी मंदिर मामले में सीसीटीवी फुटेज की जांच जल्दी पूरी होनी चाहिए।
आखिरी बात
दोस्तों, माता टेकरी मंदिर की घटना और इससे मिलती-जुलती दूसरी घटनाएं हमें सोचने पर मजबूर करती हैं। क्या हमारा समाज वाकई इतना बंट चुका है कि कुछ लोग खुद को नियमों से ऊपर समझते हैं? और अगर ऐसा है, तो इसका जिम्मेदार कौन है – वो लोग, या हमारा सिस्टम जो उन्हें ऐसा करने की छूट देता है? वीआईपी कल्चर सिर्फ एक सामाजिक समस्या नहीं है, ये हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भी सवाल उठाता है।
हमें चाहिए कि हम ऐसे समाज की ओर बढ़ें जहां हर इंसान की इज्जत हो, चाहे वो पुजारी हो, टोल कर्मचारी हो, या फिर कोई आम नागरिक। अगर आपको लगता है कि वीआईपी कल्चर के खिलाफ और जागरूकता फैलानी चाहिए, तो इस जानकारी को अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें। और हां, कमेंट में बताइए कि आप इस मुद्दे पर क्या सोचते हैं।