ग्वालियर के झांसी रोड थाना में पदस्थ टीआई मंगल सिंह पपोला को फर्जी एनकाउंटर मामले में नाम आने के बाद सस्पेंड कर दिया गया है। पपोला पिछले चार महीने से छुट्टी पर गए हुए थे और वापसी नहीं की। इसी बीच सीबीआई ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया, जिसके बाद वे लापता हो गए।
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क्या है पूरा मामला?
2009 का विवादित एनकाउंटर
- स्थान: नीमच, मध्य प्रदेश
- तारीख: 7-8 फरवरी 2009 की रात
- पुलिस का दावा: ड्रग तस्कर बंशी गुर्जर को एनकाउंटर में मार गिराया गया
- परिणाम: हेड कॉन्स्टेबल रहे मंगल सिंह पपोला को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन मिला
लेकिन 3 साल बाद हुआ खुलासा
- 2012 में बंशी गुर्जर जिंदा लौट आया, जिससे पता चला कि एनकाउंटर फर्जी था
- असल में जिस व्यक्ति को मारा गया था, वह बंशी गुर्जर नहीं था
- इससे साफ हो गया कि पुलिस ने गलत पहचान कर निर्दोष की जान ली
सीबीआई की जांच और वारंट
इस सनसनीखेज मामले की शुरुआती जांच CID ने की थी, लेकिन लीपापोती के आरोपों के चलते मामला कोर्ट के आदेश पर सीबीआई को सौंपा गया।
- अप्रैल 2025: सीबीआई ने टीआई मंगल सिंह पपोला के खिलाफ वारंट जारी किया
- वारंट थाने पहुंचा: लेकिन पपोला नदारद थे
- मोबाइल बंद: संपर्क नहीं होने पर उन्हें फरार घोषित कर दिया गया
- स्पेशल लीव: पपोला लीव लेकर अंडरग्राउंड हो गए
प्रमोशन और आरोप
- 2009 में हेड कॉन्स्टेबल रहते हुए फर्जी एनकाउंटर में शामिल होने के बाद पपोला को प्रमोशन मिला
- मौजूदा समय में वे टीआई पद पर झांसी रोड थाने में तैनात थे
- इस पूरे मामले में तत्कालीन टीआई पीएस परमार और मुख्तार कुरैशी भी शामिल बताए जा रहे हैं
क्या है आगे की कार्रवाई?
अब जब सीबीआई ने जांच को तेज कर दिया है, तो:
- टीआई मंगल सिंह पपोला की गिरफ्तारी की संभावना बढ़ गई है
- अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों पर भी कानूनी कार्रवाई की तलवार लटक रही है
- यह मामला अब सिर्फ एक अधिकारी नहीं, बल्कि पुलिस विभाग की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा करता है
नीमच फर्जी एनकाउंटर केस में 16 साल बाद बड़ा एक्शन लिया गया है। सीबीआई की सख्ती और टीआई के गायब होने से मामला और गंभीर हो गया है। अब देखना होगा कि जांच एजेंसियां कब तक फरार अधिकारी को पकड़ पाती हैं और कितने अन्य अधिकारियों को इस केस में दोषी पाया जाता है।