
Isa Ahmad
कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा ब्लॉक के ग्राम पंचायत उदनपुर के आश्रित गांव वाला पुड़ो पारा में आज भी स्वच्छ पेयजल की सुविधा नहीं पहुंच पाई है। गांव के लोगों की स्थिति इतनी विकट है कि उन्हें खेत में बने अस्थायी पत्थर के कुएं का पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि घर-घर नल जल योजना के तहत गांव में नल तो लगा दिए गए, लेकिन पानी की सप्लाई अब तक शुरू नहीं हुई है। न बोरिंग की गई, न जलस्रोत तैयार हुआ, ऐसे में योजना कागजों तक सीमित रह गई है।
ग्रामीणों ने बताया कि कुएं का निर्माण उन्होंने खुद अपने श्रम से किया है। खेत के बीचोंबीच पत्थर और लकड़ी से घेराबंदी कर कुएं का आकार दिया गया, जिससे किसी तरह पानी निकाल सकें। महिलाएं और पुरुष मिलकर रस्सी और बाल्टी के सहारे इस कुएं से पानी खींचते हैं। लेकिन बरसात के दिनों में यह पानी पूरी तरह दूषित हो जाता है, जिससे गांव में सर्दी, खांसी, उल्टी-दस्त जैसी बीमारियां फैलती हैं। कई बच्चों की तबीयत खराब होने की घटनाएं भी सामने आई हैं।
सरकारी योजनाएं जमीनी स्तर तक नहीं पहुंच रहीं
गांव के लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को इस समस्या से अवगत कराया, लेकिन अब तक किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। ग्रामीणों का कहना है कि “घर-घर नल जल योजना” का नाम तो खूब सुना, लेकिन सुविधा का लाभ आज तक नहीं मिला। यह स्थिति इस बात का उदाहरण है कि सरकारी योजनाएं गांवों तक पहुंचते-पहुंचते दम तोड़ देती हैं।
इधर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं को जमीनी स्तर तक पहुंचाने के लिए प्रयास तेज करने की बात कही है, लेकिन वाला जैसे अंदरूनी इलाकों में तस्वीर अब भी नहीं बदली है। ग्रामीणों की उम्मीद है कि प्रशासन जल्द ही उनकी समस्या को गंभीरता से लेकर पेयजल सुविधा उपलब्ध कराएगा, ताकि उन्हें दूषित पानी पीने के लिए मजबूर न होना पड़े।