BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली – बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक पारा चढ़ता जा रहा है। राजद नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने चुनाव प्रक्रिया में “खुल्लमखुल्ला बेईमानी” का आरोप लगाते हुए चुनाव बहिष्कार की संभावना जताई है। उनका कहना है कि अगर चुनाव आयोग ही पक्षपात करेगा और गरीबों के नाम वोटर लिस्ट से हटाएगा तो चुनाव का क्या औचित्य रह जाता है।
तेजस्वी ने साफ किया कि वह इस विषय पर महागठबंधन के सभी घटक दलों से बातचीत करेंगे और अगर ज़रूरत हुई तो बहिष्कार का फैसला भी संभव है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव से पहले ही सीटों का बंटवारा तय कर दिया गया है और मतदाता सूची में लाखों नाम बिना वजह हटा दिए गए हैं।
विपक्षी दलों की प्रतिक्रियाएं
कांग्रेस ने तेजस्वी यादव के बयान का समर्थन किया है। बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने कहा कि अगर मतदाता सूची में व्यापक स्तर पर नामों की कटौती होती है, तो पार्टी सड़क से संसद तक आंदोलन करेगी। कांग्रेस प्रभारी कृष्ण अल्लावरू ने भी सभी विकल्प खुले रखने की बात कही।
पप्पू यादव ने तेजस्वी के बयान को “आखिरी विकल्प” बताते हुए कहा कि यदि सभी रास्ते बंद हो जाते हैं, तो विपक्षी सांसद सामूहिक इस्तीफा दे सकते हैं।
सत्तापक्ष का पलटवार
जेडीयू नेता केसी त्यागी ने आरोप लगाया कि तेजस्वी का यह बयान सुप्रीम कोर्ट की 28 जुलाई को होने वाली सुनवाई को प्रभावित करने की कोशिश हो सकता है। उन्होंने इसे एक तरह की “धमकी” बताया।
बीजेपी सांसद दिनेश शर्मा ने तेजस्वी पर तंज कसते हुए कहा कि वह चुनावी हार को देखते हुए मैदान छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं। डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने भी परिवारवाद पर निशाना साधा और कहा कि अब बिहार की राजनीति जाति और वंशवाद के दायरे से बाहर निकल रही है।
एलजेपी सांसद शांभवी चौधरी ने बयान को हार की भूमिका करार दिया और कहा कि विपक्ष पहले से ही बहाने बना रहा है ताकि हार के बाद उसे जस्टीफाई कर सकें।
रामदास अठावले ने कहा कि बहिष्कार की बात करके तेजस्वी अपनी हार को पहले ही स्वीकार कर चुके हैं और चुनाव आयोग के निर्णय का सम्मान होना चाहिए।
अन्य दलों की प्रतिक्रिया
आरजेडी सांसद मनोज झा ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग की कार्यशैली बांग्लादेश के आयोग जैसी हो गई है और यदि ऐसा चलता रहा तो राजनीतिक दलों के पास कोई विकल्प नहीं बचेगा।
सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क ने भी मतदाता सूची से नाम हटाने पर आपत्ति जताई और इसे असंवैधानिक करार देते हुए कार्रवाई पर रोक की मांग की।