देश की सड़कों के बुनियादी ढांचे में बड़ा बदलाव आने वाला है। केंद्र सरकार अब स्टेट हाईवे को नेशनल हाईवे (NH) में बदलने की रफ्तार धीमी करने जा रही है। इसके बजाय, राज्यों को खुद अपनी सड़कों को सुधारने के लिए आर्थिक सहायता दी जाएगी।
क्या है नया मॉडल?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में परिवहन मंत्रालय को जुलाई के अंत तक एक नया मॉडल तैयार करने का निर्देश दिया है। इस मॉडल में:
- हर सड़क को NH का दर्जा नहीं मिलेगा।
- राज्य सरकारें अपने स्टेट हाईवे को खुद अपग्रेड करेंगी।
- केंद्र सरकार एकमुश्त फंड मुहैया कराएगी।
- अपग्रेड के बाद सड़क की देखरेख का जिम्मा राज्य सरकार का होगा।
फोकस बदलेगा: अब ग्रीनफील्ड हाईवे और एक्सप्रेसवे प्राथमिकता
सरकार अब नई सड़कों, खासकर ग्रीनफील्ड हाईवे और एक्सप्रेसवे पर ध्यान केंद्रित करेगी। इसका मकसद है लंबी दूरी की यात्रा के लिए बेहतर और तेज रूट तैयार करना।
पिछले 11 सालों में क्या हुआ?
- पिछले एक दशक में सरकार ने 55,000 किमी स्टेट हाईवे को NH में बदला।
- अब भारत में कुल नेशनल हाईवे की लंबाई 1.46 लाख किमी हो चुकी है।
- कुल सड़क नेटवर्क मार्च 2025 तक 63 लाख किमी से अधिक पहुंच चुका है।
राज्य सरकारों को मिलेगा अधिक अधिकार और फंड
नए मॉडल में:
- केंद्र सरकार राज्य सरकारों को अपने स्टेट हाईवे सुधारने के लिए सीधा फंड देगी।
- इससे राज्य अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर सड़कों को सुधार सकेंगे।
- NH में अपग्रेड की प्रक्रिया के बजाय स्थानीय समाधान और तेजी पर जोर होगा।
अब तक कैसे होता था?
पहले की व्यवस्था में:
- राज्य सरकारें अपने स्टेट हाईवे को NH में बदलवाने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजती थीं।
- केंद्र सरकार ट्रैफिक, कनेक्टिविटी और राष्ट्रीय महत्व के आधार पर जांच कर निर्णय लेती थी।
- फिर सड़क की मेंटेनेंस और फंडिंग केंद्र सरकार के जिम्मे आ जाती थी।
मोदी सरकार की यह नई रणनीति केंद्र और राज्यों के बीच जिम्मेदारी का संतुलन स्थापित करने की दिशा में एक कदम है। इससे न केवल सड़कों का विकास राज्यों की जरूरतों के मुताबिक होगा, बल्कि केंद्र सरकार भी लॉन्ग डिस्टेंस कनेक्टिविटी पर बेहतर तरीके से ध्यान दे सकेगी।
यह नीति भविष्य में स्थानीय विकास, बजट के कुशल उपयोग, और रखरखाव की गुणवत्ता में सुधार लाने की दिशा में निर्णायक साबित हो सकती है।