BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली | देश के नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया अब तेजी से आगे बढ़ रही है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक दिए गए इस्तीफे के बाद चुनाव आयोग ने केवल तीन दिन के भीतर तैयारी शुरू कर दी है। जल्द ही चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जाएगा।
इस अहम पद के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने संभावित नामों पर विचार शुरू कर दिया है। पार्टी के भीतर सबसे मजबूत दावेदार के तौर पर थावरचंद गहलोत, वर्तमान में कर्नाटक के राज्यपाल, का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है। वहीं सिक्किम के राज्यपाल ओम माथुर का नाम भी चर्चा में है।
चुनाव आयोग ने तेज की प्रक्रिया
चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति पद के लिए आवश्यक प्रक्रिया को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। इसमें निर्वाचक मंडल, रिटर्निंग ऑफिसर और अन्य चुनावी व्यवस्थाएं शामिल हैं। आयोग की तैयारियों से संकेत मिल रहा है कि चुनाव जल्दी कराए जाएंगे।
भाजपा अपने प्रत्याशी को लेकर सतर्क
भाजपा सूत्रों के अनुसार, पार्टी इस बार भी अपनी विचारधारा से जुड़े और विश्वसनीय चेहरे को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना चाहती है। पार्टी की रणनीति यह है कि किसी सहयोगी दल को यह पद देने के बजाय खुद ही उपयुक्त चेहरा तय किया जाए और फिर सहयोगी दलों से उसके नाम पर सहमति ली जाए।
थावरचंद गहलोत: अनुभव, नीति और सामाजिक समीकरण का मेल
77 वर्षीय थावरचंद गहलोत, जो वर्तमान में कर्नाटक के राज्यपाल हैं, भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाते हैं। वह पहले राज्यसभा में सदन के नेता, केंद्रीय मंत्री, और भाजपा के पार्लियामेंट्री बोर्ड के सदस्य रह चुके हैं। वे मध्य प्रदेश से आते हैं और दलित समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिससे वे सामाजिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर एक संतुलित विकल्प माने जा रहे हैं।
ओम माथुर: संगठन के भरोसेमंद और मोदी-शाह के करीबी
73 वर्षीय ओम माथुर, जो वर्तमान में सिक्किम के राज्यपाल हैं, संगठन में एक मजबूत पकड़ रखने वाले नेता हैं। वे राजस्थान से आते हैं और कई बार चुनावी प्रबंधन, खासकर गुजरात चुनावों में पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के करीबी सहयोगी रह चुके हैं। संघ के प्रचारक रह चुके माथुर को संगठनात्मक मामलों में गहरी समझ के लिए जाना जाता है।
सहमति न बनी तो हरिवंश का नाम भी विकल्प
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने संकेत दिए हैं कि यदि एनडीए के भीतर किसी नाम पर सहमति नहीं बनती है, तो राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश को भी इस पद का उम्मीदवार बनाया जा सकता है। हरिवंश वर्तमान में एनडीए के सहयोगी जेडीयू से आते हैं और उनका नाम सर्वमान्य हो सकता है।
विपक्ष भी मैदान में उतारेगा दमदार चेहरा
भाजपा को इस बार विपक्ष से भी कड़ी चुनौती मिलने की संभावना है। विपक्ष किसी मजबूत, अनुभवी और प्रभावशाली चेहरे को सामने ला सकता है। ऐसे में एनडीए को न केवल जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों का ध्यान रखना होगा, बल्कि उम्मीदवार की सार्वजनिक छवि और संसदीय अनुभव भी निर्णायक होंगे।
जल्द होगी तस्वीर साफ
जैसे ही निर्वाचन आयोग चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करता है, भाजपा की ओर से उम्मीदवार का नाम भी सार्वजनिक कर दिया जाएगा। वर्तमान परिदृश्य में थावरचंद गहलोत और ओम माथुर प्रमुख दौड़ में हैं, लेकिन अंतिम निर्णय राजनीतिक गणित और सहयोगी दलों की सहमति पर निर्भर करेगा।