रिपोर्टर: देवेन्द्र श्रीवास
जांजगीर-चांपा जिले के चांपा उपविभागीय पुलिस अधिकारी (SDOP) यदुमणि सिदार ने छत्तीसगढ़ की गौरवशाली लोक-परंपरा हरेली पर्व को अपने निवास पर श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया, और कृषि यंत्रों का विधिवत पूजा-अर्चना कर फसल, प्रकृति व किसान की संस्कृति को सम्मानित किया।
पारंपरिक किसान की पोशाक में सिज्दा सिदार ने हल, कुदाली, गैंती जैसे कृषि उपकरणों का विधिपूर्वक पूजन किया। इससे यह संदेश गया कि चाहे कोई भी पद हो, सांस्कृतिक मूल्यों से जुड़ा रहना सभी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
एसडीओपी सिदार को जहां एक ओर उनके सख्त प्रशासनिक रवैये के लिए जाना जाता है, वहीं दूसरी ओर वे लोक संस्कृति के प्रति गहरी आस्था व लगाव रखने वाले अधिकारी भी हैं। लोक पर्वों में सक्रिय भागीदारी और परंपराओं का सम्मान उनके सरल और मिलनसार स्वभाव का परिचायक है। उनके इस व्यवहार ने स्थानीय लोगों में उत्साह जगाया और प्रेरित किया कि सांस्कृतिक पर्व केवल समारोह नहीं, बल्कि सामाजिक एकजुटता और सांस्कृतिक संरक्षण का माध्यम हैं।
स्थानीय ग्रामीणों और पुलिसकर्मियों ने सिदार द्वारा परंपरा का पालन करने एवं कृषि संस्कृति को मुख्यधारा में लाने के प्रयास को बेहद सराहा। उन्होंने कहा कि ऐसे नेता-प्रशासक समाज और आदिवासी संस्कृति के बीच सेतु का काम करते हैं और लोगों के बीच की दूरी को समाप्त करते हैं।
हरेली पर्व के अवसर पर एसडीओपी यदुमणि सिदार की यह पहल यह स्पष्ट करती है कि लोक-परंपरा और मिट्टी से जुड़ी संस्कृति को कौन-कौन संजो देता है—चाहे वह प्रशासनिक अधिकारी ही क्यों न हो। इससे स्थानीय समाज में संस्कृति के प्रति जागरूकता बढ़ने के साथ-साथ लोगों में अपनी परंपराओं को संभालने की भावना भी पनपती है।