भारत का स्वदेशी कावेरी जेट इंजन रूस में ट्रायल्स के दौर से गुजर रहा है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के गैस टर्बाइन रिसर्च एस्टेब्लिशमेंट (GTRE) द्वारा विकसित यह इंजन भारत की रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
यह इंजन मूलतः तेजस लड़ाकू विमान के लिए बनाया गया था, लेकिन अब इसे लंबी दूरी के स्वदेशी अनमैन्ड कॉम्बैट एरियल व्हीकल (UCAV) को शक्ति देने के लिए तैयार किया जा रहा है।
इस लेख में जानेंगे कि कावेरी इंजन क्या है, इसके विकास की कहानी, और क्यों इसकी ट्रायल्स भारत के लिए बहुत मायने रखती हैं।
कावेरी जेट इंजन क्या है?
कावेरी इंजन एक लो-बायपास, ट्विन-स्पूल टरबofan इंजन है, जो लगभग 80 किलो न्यूटन (kN) थ्रस्ट प्रदान करता है। यह GTRE द्वारा DRDO के अंतर्गत विकसित किया गया है।
कावेरी इंजन की मुख्य विशेषताएं:
- लो-बायपास ट्विन-स्पूल टरबofan डिजाइन
- उच्च गति और तापमान में थ्रस्ट ड्रॉप कम करने के लिए फ्लैट-रेटेड डिजाइन
- पूर्ण डिजिटल इंजन नियंत्रण प्रणाली (FADEC) के साथ मैनुअल बैकअप
- तेजस विमान के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया
तेजस से UCAV तक: कावेरी इंजन की यात्रा
1980 के दशक में कावेरी परियोजना की शुरुआत भारत के स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमान के लिए हुई थी। लेकिन इंजन ने कई तकनीकी चुनौतियों का सामना किया:
- तेजस के लिए आवश्यक थ्रस्ट-टू-वेट अनुपात पूरा न कर पाना
- उच्च तापमान में मेटलर्जिकल समस्याएं
- आफ्टरबर्नर की विश्वसनीयता और प्रदर्शन में कमी
- 1998 के बाद लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों ने परियोजना को प्रभावित किया
इन समस्याओं के कारण तेजस विमान में अमेरिकी GE F404 इंजन लगाया गया। इसके अलावा, भारत में परीक्षण सुविधाओं की कमी ने भी परियोजना में देरी की।
फिर से जीवनदान: फ्रांसीसी सहयोग
2014 तक यह परियोजना लगभग ठप्प हो गई थी, लेकिन 2016 में फ्रांस की कंपनी सफरान के साथ सहयोग ने कावेरी परियोजना को नया आयाम दिया। इसके तहत:
- उन्नत सामग्रियों और कूलिंग तकनीकों का इस्तेमाल
- बेहतर एयरोडायनामिक्स
- कावेरी का मुख्य इंजन ‘कबिनी’ विकसित किया गया, जो उच्च दबाव वाले हिस्सों के परीक्षण के लिए है
रूस में कावेरी इंजन ट्रायल्स क्यों महत्वपूर्ण हैं?
हाल ही में DRDO ने रूस में कावेरी इंजन की फ्लाइट ट्रायल्स शुरू की हैं, जो इस परियोजना का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।
ट्रायल्स के फायदे:
- वास्तविक उड़ान परिस्थितियों में इंजन के प्रदर्शन, विश्वसनीयता और सहनशीलता का परीक्षण
- विमान प्रणालियों के साथ इंजन का सफल एकीकरण
- भारत के स्वदेशी इंजन विकास में प्रगति
- विदेशी इंजनों पर निर्भरता कम करना
- स्वदेशी UCAV जैसे ‘घटक’ स्टील्थ ड्रोन को शक्ति प्रदान करना
पिछले रिपोर्ट्स के अनुसार, लगभग 25 घंटे के परीक्षण बाकी हैं, जो रूस के प्रावधानों पर निर्भर करते हैं।
कावेरी इंजन का भविष्य क्या है?
- भविष्य में इसे तेजस और अन्य लड़ाकू विमानों में लगाने की संभावना
- आफ्टरबर्नर जोड़कर थ्रस्ट 73-75 kN तक बढ़ाने की योजना
- पांचवीं पीढ़ी के इंजन के तौर पर विकसित करना
- स्टील्थ ड्रोन और अनमैन्ड सिस्टम्स के लिए उपयुक्त बनाना
सोशल मीडिया पर #FundKaveriEngine ट्रेंड यह दर्शाता है कि देश में इस परियोजना को लेकर जागरूकता और समर्थन बढ़ रहा है, खासकर हालिया सुरक्षा तनावों के बीच।
व्यापक संदर्भ: भारत की रक्षा में आत्मनिर्भरता की दिशा
कावेरी इंजन परियोजना ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का एक अहम हिस्सा है। स्वदेशी इंजन बनाने से:
- भारत की विदेशी तकनीकों पर निर्भरता कम होगी
- रक्षा उत्पादन में ‘मेक इन इंडिया’ को मजबूती मिलेगी
- अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा
- देश की उन्नत लड़ाकू विमान और ड्रोन क्षमताएं मजबूत होंगी
Also Read: भारत करेगा पूर्व 1971 युद्ध के एयर बेस का पुनः सक्रियण, चीन-बांग्लादेश सैन्य गठबंधन से सुरक्षा चुनौती
निष्कर्ष
रूस में कावेरी जेट इंजन की ट्रायल्स भारत की रक्षा और एयरोस्पेस तकनीक के लिए एक बड़ी उपलब्धि हैं। हालांकि परियोजना में कई चुनौतियां आईं, लेकिन अब यह इंजन UCAV जैसे आधुनिक हथियार प्रणालियों को शक्ति देने के लिए तैयार है।
जैसे-जैसे परीक्षण आगे बढ़ेंगे, यह इंजन भारत के स्वदेशी रक्षा उत्पादन और तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मजबूत स्तंभ बन सकता है, जिससे देश की सुरक्षा और रणनीतिक शक्ति बढ़ेगी।